यूक्रेन ने रूसी एयरवेस पर पर डेढ़ साल की तैयारी के बाद सबसे बड़ा ड्रोन हमला करते हुए उसके 41 फाइटर प्लेन को निशाना बनाया है। यूक्रेनी मीडिया ने इस ऑपरेशन को “वेब” नाम दिया है। बताया जा रहा है कि इस हमले की डेढ़ साल से तैयारी चल रही थी। रूस के रक्षा मंत्रालय ने भी हमले की पुष्टि की है। लेकिन किसी के हताहत होने से इनकार किया है। इतना ही नहीं विदेशी मीडिया के अनुसार यूक्रेन ने रूस के परमाणु पनडुब्बियों के पोर्ट पर भी हमला किया है। यह हमला रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने इस हमले के बाद आपातकालीन बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि यूक्रेन पर बड़ा जवाबी हमला हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना को बनाने में डेढ़ साल का समय लगा। इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए यूक्रेन ने फर्स्ट-पर्सन-व्यू ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिन्हें ट्रकों में बने लकड़ी के मोबाइल केबिन्स में छिपा कर रूस के अंदर भेजा था। जब सही समय आया, तो उन केबिन्स की छतें रिमोट से खोली गईं और ड्रोन सीधे रूसी बॉम्बर्स विमानों को निशाना बनाने के लिए उड़ गए। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा द्वारा रूस के चार अलग-अलग एयरबेस पर हमला किया गया है। इस हमले से रूस को गंभीर नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। हमले के स्थान पर भारी धुआं उठता दिखाई दे रहा है और लोगों के बीच अफरातफरी मची है। यह हमला यूक्रेन द्वारा रूस के अंदर गहराई तक किए गए ड्रोन हमलों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें पहले भी रूस के अन्य एयरबेसों पर हमले किए गए हैं। इस हमले से रूस की सैन्य क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचने का दावा किया गया है। यह ड्रोन हमला यूक्रेन की नई सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।
रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र के गवर्नर ने साइबेरिया में पहले ड्रोन हमले की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सैन्य इकाई को निशाना बनाया गया है। सेना और सिविल एक्शन फोर्स पहले से ही खतरे से निपटने के लिए जुटे हुए हैं। ड्रोन लॉन्च का अड्डा अवरुद्ध हो गया है। विदेशी मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन ने इस बड़े ड्रोन हमले की लांचिंग रूसी बेस के पास एक ट्रक कंटेनर से ही कर दिया। विदेशी मीडिया में इसका एक वीडियो भी दिखाया जा रहा है, जहां एक कंटेनर से ड्रोन की लांचिंग होते देखा जा सकता है। रूस की सुरक्षा के लिए यह चूक बहुत बड़ी है।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि देश के उत्तर में मरमंस्क रीजन, मध्य रूस में इवानोवो और रियाज़ान रीजन के साथ-साथ साइबेरिया में इरकुत्स्क रीजन और सुदूर पूर्व में अमूर रीजन में हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में फर्स्ट-पर्सन व्यू (ढाश्) कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिनमें से कुछ को हवाई अड्डों के नज़दीकी क्षेत्रों से लॉन्च किया गया। मंत्रालय ने कहा कि हमलों को लेकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। लेकिन रूसी रक्षा मंत्रालय ने पहचान का खुलासा नहीं किया। रूसी सेना ने यह भी कहा कि इन हमलों के लिए कीव शासन जिम्मेदार है। रूस ने इसे आतंकवादी हमला माना है। सेना ने कहा कि मरमंस्क और इरकुत्स्क क्षेत्रों में हमलों के कारण कुछ विमानों में आग लग गई। किसी भी घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
द सन की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन ने रूस के दो प्रमुख एयरबेसों पर एक बड़े ड्रोन हमले का दावा किया है, जिसमें 40 से अधिक रूसी सैन्य विमानों को नष्ट करने का आरोप है। यूक्रेनी सुरक्षा सेवा के एक अधिकारी के अनुसार, यह हमला रूस के ओलेन्या एयरबेस और बेलाया एयरबेस पर किया गया, जो क्रमश: रूस के टुपोलेव टीयू-95 और टीयू-22एम3 बमवर्षकों का अड्डा है। इस हमले में नष्ट हुए फाइटर में ए-50 अवाक्स विमान भी शामिल हैं।
इस बीच सूचना आ रही है कि यूक्रेन ने रूस के न्यूक्लियर सब-मरीन पोर्ट पर भी बड़ा हमला किया है। रूस के सेवेरोमोर्स्क में विस्फोट और धुआं निकलने की सूचना मिली है, जो कि परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों का भंडारण पोर्ट है। यह बैरेंट्स सागर के पास कोला खाड़ी में रूसी उत्तरी बेड़े का मुख्य अड्डा है। यहाँ रूस की दो-तिहाई परमाणु-संचालित पनडुब्बियाँ हैं, जिनमें यासेन, ऑस्कर11, सिएरा11 और विशेष-उद्देश्य वाली पनडुब्बियाँ शामिल हैं।
यूक्रेन की ओर से रूस पर इसे अब तक का सबसे बड़ा और घातक ड्रोन हमला माना जा रहा है। यूक्रेन ने यह हमला ऐसे वक्त में किया है, जब अभी एक दिन पहले ही रूस ने 50 हजार सैनिकों की सीमा पार तैनाती करके कीव पर बड़े जमीनी हमले का प्लान तैयार किया था। दोनों देशों के बीच युद्ध का आगाज 24 फरवरी 2022 को हुआ। जब रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर सैन्य आक्रमण किया।
बता दें कि वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अवैध माना। इसके बाद डोनबास क्षेत्र (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) में रूस समर्थित विद्रोह शुरू हुआ। रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो जैसी पश्चिमी सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने, क्योंकि इससे रूस को अपनी सीमाओं पर खतरा महसूस होता है। बावजूद यूक्रेन यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ नजदीकी बढ़ा रहा था, जो रूस को असहज करता रहा। रूस मानता है कि यूक्रेन उसका “ऐतिहासिक हिस्सा” है और वहां “रूसी भाषी” लोगों की रक्षा के नाम पर उसने कार्रवाई की।