ग्रीनपार्क के लिए बुरी खबर : आईसीसी की कानपुर के प्राचीन और परमानेंट टेस्ट सेंटर पर निगाह टेढ़ी

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कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम के लिए अच्छी खबर नहीं है। भारत और बांगलादेश के बीच इस स्टेडियम में 27 सितंबर से 1 अक्तूबर के बीच खेला गया टेस्ट मैच मेजबान टीम के हक में होने के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने स्टेडियम की आउटफील्ड को अच्छा नहीं माना है और उसको असंतोषजन रेटिंग दी है। इसका नुकसान यह हुआ कि स्टेडियम के खाते में एक डीमेरिट अंक जुड़ गया है।

… तब 12 महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है सेंटर

पांच साल में यदि पांच या उससे ज्यादा डीमेरिट अंक मिलने वाले सेंटर को कम से कम 12 महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है। बता दें कि कानपुर को किसी मैच की मेजबानी बमुश्किल मिल पाती है। कानपुर के उलट चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम को आईसीसी ने बढ़िया करार देते हुए ‘बहुत अच्छी’ रेटिंग दी है, जबकि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज के मैच करने वाले मुंबई, बेंगलुरु और पुणे के मैदान की पिचों को ‘संतोषजनक’ रेटिंग मिली है।

ग्रीनपार्क की पिच को ‘संतोजनक’ रेटिंग

यहां संतोषजनक बात यह है कि भारत-बांग्लादेश टेस्ट के लिए कानपुर की पिच को आईसीसी ने खराब नहीं माना है और उसको ‘संतोजनक’ रेटिंग दी है। कानपुर टेस्ट के पहले दिन बांग्लादेश की पहली पारी के दौरान सिर्फ 35 ओवरों का ही खेल हो पाया था। लंच के एक घंटे बाद खराब रोशनी और बारिश की वजह से बाकी दिन का खेल रद्द कर दिया गया था। दूसरे और तीसरे दिन एक भी गेंद का खेल नहीं हो सका था।

आउटफील्ड को इसलिए मिला डीमेरिट अंक

आउटफील्ड को संभवत: इसलिए भी डीमेरिट अंक मिला है, क्योंकि तीसरे दिन बारिश न होने के बावजूद एक भी गेंद का खेल नहीं हो सका था। ग्रीनपार्क का रखरखाव इसलिए भी नहीं हो पाता है क्योंकि यूपीसीए स्टेडियम का इस्तेमाल राज्य सरकार के साथ एमओयू के तहत करता है। दो या तीन साल की अवधि के बाद जब कोई मैच इस स्टेडियम को आवंटित होता है तब एक माह पूर्व इस स्टेडियम की कमियों पर निगाह पड़ती है और उसे ठीक करने की कवायद शुरू होती है।

 

 

 

 

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