संजीव मिश्र। कानपुर। कहते हैं कि क्रिकेट में अक्सर चमत्कार होते रहते हैं। क्या कल्पना की गई थी कि ड्रैनेज सिस्टम को लेकर जिस ग्रीनपार्क को चौतरफा कोसा जा रहा हो वहां मैच में इतना नाटकीय मोड़ आएगा कि पूरा विश्व टकटकी लगाकर मुकाबले का अंत देखने को बेचैन हो जाएगा। सच तो यह है कि भारतीय बल्लेबाजों ने इस बूढ़े ग्रीनपार्क की इज्जत रख ली। ग्रीनपार्क स्टेडियम में भारत-बांग्लादेश के बीच दूसरे टेस्ट के चौथे दिन भारतीय बल्लेबाजी का जो तूफान आया उसकी पटकथा के लेखक कोई और नहीं गौतम गंभीर बताए जा रहे हैं। इस तेवर ने दिखा दिया कि नया कोच कुछ अलग ही मिजाज का है।
सूत्र बताते हैं कि गंभीर ने कप्तान रोहित शर्मा और टीम के अन्य बल्लेबाजों को शेष बचे डेढ़ सत्र में विस्फोटक बल्लेबाजी करने का गेम प्लान दिया था, क्योंकि टीम इंडिया को पहली पारी खेलनी थी, इसलिए मैच में उसके लिए खतरे जैसी कोई बात नहीं थी और बांग्लादेश का स्कोर भी इतना छोटा था कि तेज बल्लेबाजी के प्रयास में यदि बल्लेबाजी कोलेप्स भी कर जाती तब भी फॉलोअन जैसी स्थिति नहीं आ सकती थी।
हां यदि योजना कामयाब रहती तो टीम को अंधेरे में रोशनी की एक किरण जरूर मिल सकती थी, जैसा कि हुआ भी। विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए यह प्लान एक मात्र अंतिम दांव था, जिस पर टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने सफलता भी पाई। अब यहां से भारतीय टीम जीत की एक हल्की सी महक का आनंद ले सकती है।
गंभीर आक्रामक बल्लेबाज थे इसलिए उनकी प्लानिंग में भी आक्रामकता झलकती है। चौथे दिन का खेल शुरू होने से पहले क्या कोई सोच सकता था कि जिस मैच में एक पारी भी खत्म न हो सकी हो वह मैच शाम को ऐसे हालात में खड़ा होगा जहां से भारत अंतिम दिन जीत के बारे में भी सोच सकता है। लेकिन यह हुआ और अब स्थितियां कुछ ऐसी ही हैं। इस स्थिति तक मैच को लाने के पीछे भारत का नया कोच ही है।
दरअसल दो दिन बारिश न होने के बावजूद इस टेस्ट में एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी थी। तीसरे दिन जब अम्पायरों ने बाकी दिन का खेल रद्द करने की घोषणा की तभी से भारत के डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचने के समीकरण बदलने लगे थे। ऐसे में भारत के सामने यही एक रास्ता बचता था कि वह तेज बल्लेबाजी कर चौथे दिन न सिर्फ लीड खत्म करे बल्कि इतनी बढ़त भी हासिल कर ले कि दूसरी पारी में बांग्लादेश पर मानसिक दबाव डाला जा सके।
रिषभ पंत, रविन्द्र जडेजा और आर. अश्विन का बल्ला भी चल गया होता तो कोई शक नहीं कि टीम इंडिया बड़ी लीड के साथ मजबूत स्थिति में खड़ी होती। हालांकि लीड सिर्फ 52 रनों की ही मिल सकी लेकिन अश्विन ने दो विकेट निकाल कर मैच को रोमांचक मोड़ पर ला खड़ा किया है। मैच का परिणाम चाहे जो भी निकले लेकिन दर्शकों की ढाई दिन से ज्यादा समय तक मैच न देख पाने के तकलीफ भारतीय बल्लेबाजों ने काफी हद तक कम कर दी है।
मैच के जो हालात हैं पांचवें व अंतिम दिन यदि खेल में कोई प्राकृतिक बाधा नहीं आती है तो गेंदबाज लंच के बाद एक घंटे के अंदर बांग्लादेश की दूसरी पारी समेट जीत के लिए मिले लक्ष्य तक भारत को पहुंचा सकते हैं। हो सकता है कि ऐसा न भी हो, तब भी कम से कम अब मैच का नीरस ड्रा के रूप में अंत तो कतई नहीं होने जा रहा।