..क्योंकि कौव्वा सब जानता है, किसने क्या खाया

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अपने देश में लोगों का हाजमा दुरुस्त नहीं रहता है, क्योंकि यहां वहां खाने का शौक अक्सर अपच की वजह बन जाता है। बात खाने तक ही सीमित नहीं रहती यहां तो बात भी जल्दी किसी को नहीं हजम होती। या तो पेट में दाल फूलने लगती है या उल्टी हो जाती है। ऐसे ही एक मामले की जानकारी होने पर कुछ लोगों के पेट में पहले अपच की स्थिति बनी फिर जी मिचलाने लगा और अंत में कुछ आपस के ही लोगों के बीच उल्टी कर दी।

हमारा कौव्वा वहीं पर बैठा सब देख सुन रहा था। छींटे हमारे कौव्वे पर भी पड़ीं, क्योंकि कौव्वा जानता है कि किसने क्या खाया था, इसलिए वह गुस्से में आग बबूला हो लगा कांव-कांव करने। उड़ते-उड़ते और कांव-कांव करते हमारे पास भी पहुंच गया तो हमने पूछ ही लिया क्या हुआ क्यों इतनी कांव-कांव कर रहे हो कागा? लेकिन वह चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था।

कौव्वे की कांव-कांव का मतलब कुछ यूं निकल कर आया कि एक राज्य में किसी महिला पदाधिकारी के ऊपर एक साहब ने केस कर दिया था। अब इस केस पर तारीख पर तारीख पड़नी शुरू हो गईं। लेकिन केस करने वाला खुद ही किसी भी तारीख पर नहीं पहुंच रहा था। माननीय को भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है, क्यों केस करने वाला खुद ही तारीखों पर गायब रहता है, जबकि आरोपित पहुंच जाता है। जो समय दूसरों को न्याय देने का था वह भी खराब हो रहा था।

केस करने वाले को माननीय ने पेश करने का हुकुम दिया तो लग गई पुलिस तलाश में। पता चला कि जिनकी पुकार चल रही थी वे भाई साहब तो मजे से भारत-बांग्लादेश का ग्रीनपार्क में टेस्ट मैच देख रहे थे। खैर उन्हें बाइज्जत पकड़ कर माननीय के पास ले जाया गया तो उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए और समय मांगा। पहले तो डांट पड़ी और फिर माननीय ने इसी माह दूसरे हफ्ता पूरा होने वाले दिन तक की मोहलत देकर उन्हें अपनी बात रखने को कह दिया है।

कौव्वा तो उस बेचारे की स्थिति भी जानता है कि यह केस क्यों किया और किसके कहने पर किया, वह जानता है कि उसके कंधे पर रखकर बंदूक दाग दी गई है। लेकिन हमारा कागा उतनी ही कांव-कांव करता है जितनी जरूरी हो, फिलहाल कौव्वा इतनी ही कांव-कांव कर हमारे पास से उड़ गया। हम अपने कौव्वे के इंतजार में फिर उसकी कांव-कांव सुनने को बेचैन हैं। हमें तो यह भी पता नहीं कि कागा सच बोलता है या अफवाह लेकर आता है। हम तो उसकी कांव-कांव जितनी समझ पाते हैं उतना ही बताते हैं। तो इंतजार करिए हमारा कौव्वा फिर जरूर कोई न कोई किस्सा पका कर लाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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