दुर्घटनाग्रस्त बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिला, सामने आएगी हादसे की वजह

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अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेक ऑफ के कुछ सैकेंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के विमान का ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही हादसे की वजह सामने आ जाएगी। बता दें कि अहमदाबाद में हुए प्लेन हादसे में अब तक 297 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। विमान में सवार 242 लोगों में से 241 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में सिर्फ एक यात्री की जान बच पाई है। मृतकों में 12 विमान के क्रू मैंबर्स थे।

इस हादसे में पूर्व सीएम विजय रूपाणी का भी जान चली गई है। एयर इंडिया का विमान लंबी दूरी की यात्रा पर जा रहा था। ऐसे में विमान के अंदर फ्यूल भी बड़े पैमाने पर था। प्लेन एयरपोर्ट परिसर के बेहद पास ही हादसे का शिकार हो गया। प्लेन क्रैश करने के बाद जिस मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिरा था वहां मौजूद 56 लोगों की भी जान चली गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हादसे वाली जगह पर पहुंच कर जायजा लिया। अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। इसके बाद पीएम मोदी ने अहमदाबाद एयरपोर्ट में समीक्षा बैठक भी की। विमान के मलबे से डीवीआर मिलने के बाद हादसे की जांच तेज हो गई है। सरकार ने जांच के लिए हाई लेवल कमेटी भी बनाई है। अहमदाबाद में क्षतिग्रस्त विमान के मलबे से डीवीआर मिल गया है। एटीएस अधिकारी को ये डीवीआर मिला है। विमान हादसे की जांच अब और तेजी से आगे की ओर बढ़ेगी। इस डवीआर के माध्यम से हादसे की वजह का भी पता लगाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विमान दुर्घटना के बाद अहमदाबाद पहुंच गए। वह हादसे वाली जगह पर भी पहुंचे हैं। विमान हादसे में 12 चालक दल के सदस्यों सहित 241 लोगों की मौत हुई है। 56 अन्य लोगों की इस हादसे में जान गई है। कुल 297 लोग हादसे का शिकार हुए हैं।

टाटा संस की तरफ से कल ही मुआवजे का भी ऐलान कर दिया गया था। एक पोस्ट में मुआवजे का ऐलान करते हुए लिखा है, “टाटा समूह इस त्रासदी में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवारों को 1 करोड़ की सहायता राशि देगा। हम घायलों के चिकित्सा व्यय को भी वहन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सभी आवश्यक देखभाल और सहायता मिले। इसके अतिरिक्त, हम बी जे मेडिकल के छात्रावास के निर्माण में सहायता प्रदान करेंगे। हम इस अकल्पनीय समय में प्रभावित परिवारों और समुदायों के साथ खड़े हैं।”

बता दें कि इस फ्लाइट में जिंदा बचने वाले शख्स की पहचान रमेश विश्वास कुमार के रूप में हुई है। यह यात्री बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की ’11ए’ सीट पर बैठा हुआ था, जिसमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। वह अपने भाई के साथ लंदन जा रहा था। वहीं अहमदाबाद सिविल अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में कार्यरत डॉ. शरीक एम ने बताया कि रमेश विश्वास कुमार को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। विमान में दो पायलट और चालक दल के 10 सदस्य सहित 242 लोग सवार थे। एअर इंडिया के अनुसार, विमान में सवार 230 यात्रियों में से 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात पुर्तगाली नागरिक थे।

दरअसल, अहमदाबाद में जिस इमारत से एयर इंडिया का प्लेन टकराया, वहां पर मेस था, जिसमें कुछ लोग खाना भी खा रहे थे। यह मेस अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का था। विमान हादसे की वजह से अस्पताल के मेस के साथ-साथ वहां की आवासीय इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। बताया जा रहा है कि हादसे के समय मेस में नर्सिंग के छात्र खाना खा रहे थे। इसके अलावा आवासीय इमारतों में भी कई लोगों के मारे जाने की आशंका जताई है।

हादसे का शिकार हुआ विमान 11 साल पुराना था। इसका निर्माण अमेरिका की बोइंग कंपनी करती है। इस विमान में कई धातुओं का मिश्रण होता है, जिसके कारण इसका वजन बेहद कम होता है। इसी वजह से यह विमान लंबी दूरी की यात्राएं करने में सक्षम रहता है। इसके साथ ही इसकी ईंधन की खपत भी कम होती है। इसी वजह से दुनिया की हर बड़ी एयरलाइंस इस विमान का इस्तेमाल करती है। इस विमान में आम तौर पर 200-300 यात्री बैठ सकते हैं और इसकी अधिकतम दूरी तय करने की सीमा 8,500 समुद्री मील तक है।

इस बीच अधिकारियों ने पुष्टि की है कि विमान के दुर्घटनाग्रस्त मलबे से विमान के ब्लैक बॉक्स को बरामद कर लिया गया है। बता दें कि ब्लैक बॉक्स को ही ईएफएआर (वॉयस और डेटा रिकॉर्डर) कहते हैं। इसका पूरा नाम है एन्हांस्ड एयरबोर्ड फ्लाइट रिकॉर्डर। इस मामले की जांच कर रही एएआईबी को ब्लैक बॉक्स सौंप दिया गया है। काउंसिल ऑफ इंडियन एविएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन जाधव ने भी इसकी पुष्टि की है। ब्लैक बॉक्स के मिल जाने से यह पता चल सकता है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ और विमान में अंतिम क्षणों में क्या हो रहा था।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स

ब्लैकबॉक्स एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो मुख्य रूप से हवाई जहाजों में उपयोग होता है। इसका काम उड़ान के दौरान डेटा और कॉकपिट की बातचीत को रिकॉर्ड करना है। ब्लैक बॉक्स में दो कंपोनेंट होते हैं। इसमें पहला है कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर) और दूसरा है डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (डीएफडीआर), जो दुर्घटना जांच में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

सीवीआर का काम क्या है

सीवीआर में कॉकपिट में होने वाली बातचीत रिकॉर्ड होती है। आसान शब्दों में कहें तो विमान जब टैक्सी बे से रनवे पर आता है और जब टेक ऑफ होता है तो कॉकपिट में जो पायलट और को-पायलट के बीच बात होती है। उसकी रिकॉर्डिंग सीवीआर में होती है। यानी इस हादसे में प्लेन में पायलट बैठने से लेकर हादसे तक की उनकी बातचीत, उनको होने वाली समस्याओं, उन्हें क्या-क्या किया और क्या कॉल लिए होंगे, ये सब रिकॉर्ड होता है। इस दौरान क्या पायलट या को-पायलट से कोई गलती हुई, उन्होंने क्या कमांड दिए, ये सब रिकॉर्ड होता है।

डीएफडीआर का क्या काम होता है

डीएफडीआर में मैकेनिकल, टेक्निकल और इलेक्ट्रिकल ऑपरेटिंग डेटा की जानकारी रिकॉर्ड होती है। प्लेन की इंजन में खराबी आई, या क्या कोई टेक्निकल या मैकेनिकल दिक्कत थी या फिर कोई इलेक्ट्रिकल दिक्कत थी। डीएफडीआर के डेटा से ये सब पता चलता है।

कब तक आ सकती है रिपोर्ट

ब्लैक बॉक्स की जांच अगर बोइंग कंपनी करती है और जिस कंपनी का इंजन (जनरल इंजन) है, वह इसकी जांच करेगी तो उनका मुख्यालय अमेरिका के सिएटल में है। इस स्थिति में ब्लैक बॉक्स रिपोर्ट आने में 10 से 15 दिन का समय भी लग सकता है। वहीं भारत में अगर ब्लैक बॉक्स की जांच की जाती है तो रिपोर्ट 2-4 दिन में आएगी। लेकिन विस्तृत जांच रिपोर्ट अगले साल 12 जून या उससे पहले आ सकती है।

हादसे की क्या संभावनाएं हो सकती हैं

अगर विमान हादसे की संभावनाओं पर नजर डालें तो इस हादसे में पायलट की गलती नजर नहीं आती है। फौरी तौर पर वजह ये हो सकती है कि पहला तो प्लेन के ओवरलोड होने से लॉकिंग सिस्टम टूटा होगा और टेक ऑफ के बाद लोड पिछले हिस्से शिफ्ट हुआ होगा, जिससे इंजन पर लोड आया होगा। इसके अलावा दूसरा कारण ये हो सकता है कि इंजन केवल तभी काम करना बंद कर देते हैं जब या तो ओवरलोड से प्रेशर आए, इंजन तक फ्यूल ना पहुंच पाए या फिर फ्यूल में कोई खराबी हो। ऐसी स्थिति में इंजन काम करना बंद कर देते हैं। इसलिए फ्यूल की भी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा तीसरा कारण ये हो सकता है कि प्लेन के टेल साइड के एलिवेटर ने टेक ऑफ करते समय काम करना बंद कर दिया हो या फिर उसमें कोई खराबी आ गई हो।

एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान (एआई-171) के हादसे की विस्तृत जांच रिपोर्ट अगले साल 12 जून से पहले रिलीज होने की उम्मीद है। उसके बाद ही विमान दुर्घटना के संभावित कारणों का विश्लेषण हो पाएगा। अहमदाबाद के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद एयर इंडिया का एआई-171 विमान गुरुवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान हादसे के 2 शॉर्ट वीडियो सामने आए हैं। जिन लोगों ने कॉमर्शियल विमान उड़ाए हैं, वो इसे लेकर ये 5 सवाल पूछ रहे हैं-

1. विमान का लैंडिंग गियर वापस क्यों नहीं लिया गया?
2. क्या विमान के दोनों इंजन में ही खराबी थी?
3. क्या फ्यूल कॉन्टैमिनेशन या ब्लॉकेज के चलते खराब हुए इंजन?
4. क्या उड़ान भरने के लिए पंखों के फ्लैप नीचे किए गए थे?
5. क्या पक्षी के टकराने से दुर्घटना हुई?

कब तक आएगी एयर इंडिया के एआई-171 विमान हादसे की फाइनल रिपोर्ट?
एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान (एआई-171) के हादसे की विस्तृत जांच रिपोर्ट अगले साल 12 जून से पहले रिलीज होने की उम्मीद है। फाइनल रिपोर्ट सामने आने के बाद ही विमान दुर्घटना के संभावित कारणों और सहायक तथ्यों का विस्तृत विश्लेषण हो पाएगा. हालांकि, विमानन पेशेवरों का कहना है कि जो 2 शॉर्ट वीडियो सामने आने हैं, उनसे भी काफी कुछ पता लग सकता है।

एयर सेफ्टी एक्सपर्ट ने क्या कहा

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एयर सेफ्टी एक्सपर्ट अमित सिंह ने कहा कि उड़ान भरने के 5 सेकंड के भीतर, पायलट आमतौर पर लैंडिंग गेयर उठा लेते हैं। जैसे ही चढ़ाई की सकारात्मक दर प्राप्त होती है, लैंडिंग गियर वापस ले लिए जाते हैं।

लैंडिंग गियर कम होने से ड्रैग और ईंधन की खपत बढ़ जाती है और विमान की स्पीड कम होने लगती है। लैंडिंग गियर को वापस खींचने से वायु गतिकीय संतुलन बना रहता है और विमान को ऊपर हवा में चढ़ाने में मदद मिलती है, लेकिन वायरल वीडियो क्लिप के मुताबिक विमान के जमीन से 400 फीट से अधिक ऊपर चढ़ने के बाद भी लैंडिंग गियर वापस नहीं लिए गए थे।

 

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