सचिन ने टेस्ट मे कुल 51 शतक लगाए हैं लेकिन पहला शतक उनके लिए और उनके फैंस के लिए काफी खास है।
1990 मे मैनचेस्टर के मैदान पर चौथी पारी मे 408 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की हालत काफी पतली हो गई थी। भारत का शीर्षक्रम ताश के पत्तों की तरह बिखर गया था केवल संजय मांजरेकर अर्धशतकीय पारी खेल पाए थे। लेकिन उनका संघर्ष भी ज्यादा देर नहीं चल सका और अर्धशतक जड़ने के तुरंत बाद 50 रन बनाकर आउट होकर चलते बने।
भारत की जीत नामुमकिन तो लग ही रही थी ड्रॉ करना भी असंभव ही नजर आ रहा था। जब सीनियर बल्लेबाज दिलीप वेंगस्कर 32 रन बनाकर आउट हुए तो भारत का स्कोर 4 विकेट के नुक्सान पर 109 रन हो गया था और सबको लगने लगा था कि इंग्लैंड अब भारत को हरा देगा।
अब पिच पर आगमन होता है एक 17 साल के बच्चे का, जो आगे चलकर क्रिकेट का बाप बनने वाला था। हालांकि सचिन ने इस मैच की पहली पारी मे भी 68 रन बनाकर अपने इरादे साफ जाहिर कर दिए थे और वो इस पारी मे भी पूरे आत्मविश्वास में नजर आ रहे थे। भारत की हालत तब और खराब हो गई जब अजहरुद्दीन टीम के 127 रन पर 11 रन बनाकर आउट होकर चलते बने। अब भारत की आधी टीम 127 के कुल योग पर आउट होकर ड्रेसिंग रूम मे बैठी थी।
सचिन ने हिम्मत नहीं हारी और जवाबी हमला करना शुरू कर दिया। अंग्रेजी गेंदबाजों के खिलाफ कुछ अद्भुत शॉट लगाए। उन्होंने कपिल देव के साथ मिलकर टीम को 183 तक पहुंचाया और इसी स्कोर पर कपिल देव एडी हेमिन्ग्स की गेंद पर आउट होकर चलते बने।
भारत गहरे संकट में आ गया था। लेकिन यहां से सचिन को मनोज प्रभाकर का अच्छा साथ मिला दोनों ने पॉज़िटिव मानसिकता के साथ मैदान के हर कोने में शानदार शॉट्स खेले। 17 साल के इस बल्लेबाज ने चौथी पारी में अपनी पहली शतकीय पारी खेली।
सचिन ने इस पारी में शानदार 17 चौके लगाए और 119 रन की नाबाद पारी खेली तो वहीं मनोज प्रभाकर ने 67 रन की नाबाद पारी खेली। दोनों ने मिलकर 160 रन की अविजित साझेदारी की और भारत के निश्चित हार को ड्रॉ मे बदल दिया।
(क्रिक ट्रिक की वॉल से)