टीम इंडिया मैनेजर पद के बदले यूपीसीए के दो धड़ों के बीच सीजफायर!

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बेबाक/ संजीव मिश्र

जब बाढ़ आती है तो सांप और इंसान भी दोस्त बन जाते हैं। उसी तरह जब बात अपना घर बचाने पर आ जाए तो आपसी मतभेद और मनभेद खत्म कर विपरीत विचारधाराओं के लोगों को भी एक होते देखा गया है। भारतीय राजनीति में तो यह चलन आम है लेकिन अब कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में भी देखने को मिल रहा है। सामानांतर संघ का विरोध जब बढ़ गया तो पिछले कुछ सालों से लड़ रहे यूपीसीए के दो धड़े एक होते दिख रहे हैं। इसके संकेत पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह को इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली भारतीय टेस्ट टीम का मैनेजर बनाए जाने से मिले। हालांकि सामानांतर संघ ने इस फैसले का विरोध किया है।

बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला एक्टिव मोड में

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में अपना असर रखने वाले बोर्ड उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। सामानांतर संघ से लड़ने के लिए उन्होंने संभवत: पहले अपने घर का क्लेश खत्म करने की योजना बनाई है। युद्धवीर सिंह को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम का मैनेजर बनवा एक तरह से डैमेज कंट्रोल करते हुए ‘सीजफायर’ का संकेत भी दिया है। गौरतलब है कि पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह यूपी टीमों की चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप का विरोध करते रहे हैं। हालांकि उनकी स्थिति संघ में काफी मजबूत है। यहां तक कि यूपी की टीमें उनके हस्ताक्षर के बाद ही जारी होती हैं।

सामानांतर संघ ने जताई आपत्ति

सामानांतर संघ बीसीसीआई के इस फैसले से नाराज है और उसने अपनी नाराजगी एक ईमेल के जरिए बोर्ड और लोकपाल को जता भी दी है। सामानांतर संघ के सदस्य उपेन्द्र यादव ने इस पत्र के माध्यम से युद्धवीर सिंह की बतौर टीम इंडिया मैनेजर की नियुक्ति को आश्चर्यजनक बताते हुए सवाल किया है कि जिसके खिलाफ कई मामलों की सुनवाई चल रही हो तो ऐसे व्यक्ति की मैनेजर जैसे सम्मानजनक पद पर नियुक्ति कैसे हो सकती है। सामानांतर संघ ने मांग की है कि इस नियुक्ति की तत्काल समीक्षा कर इसे निरस्त किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि जब तक इनके खिलाफ कोर्ट में चल रहे मामलों पर फैसला न आ जाए तब तक उनकी किसी भी पद पर नियुक्ति न हो। उपेन्द्र यादव ने अपने मेल में साक्ष्य के तौर पर पूर्व यूपीसीए सचिव के खिलाफ चल रहे मामलों का पूरा विवरण भी भेजा है।

चुनाव को देखते हुए कोई गलती नहीं करना चाहते

इसी साल यूपीसीए के चुनाव भी होने हैं, इसलिए सक्रिय संघ कोई भी ऐसी गलती नहीं करना चाहता जिससे उसके हाथ से सत्ता फिसले। दूसरी ओर इस संघ का दूसरा धड़ा भी सतर्क है। सूत्रों के अनुसार संघ के काफी लोग युद्धवीर सिंह को बड़ी भूमिका में देखना चाहते हैं। कई जिला इकाइयों का समर्थन भी उनके साथ बताया जा रहा है। अपेक्स काउंसिल के भी कई सदस्य उनके साथ हैं। माना जा रहा है कि समीकरण अपने पक्ष में करने के लिए ही इंग्लैंड टीम के मैनेजर के रूप में पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के नाम पर मुहर लगवा लम्बे समय से चल रही लड़ाई में तोहफे के साथ शांति संदेश भेजा गया है।’

दो संघों की लड़ाई बनी मूंछ का बाल

सामानांतर संघ और सक्रिय संघ की यह लड़ाई अब मूंछ का बाल बनती जा रही है। सामानांतर संघ ने अलीगढ़ के बाद एटा में ट्रायल्स करवा अपने इरादे साफ कर दिए हैं। इन ट्रायल्स में सक्रिय यूपीसीए जैसी चकाचौंध भले ही न दिखी, लेकिन खिलाड़ियों की संख्या ने इशारा कर दिया है कि अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस संघ पर भी भरोसा दिखाने लगे हैं। सामानांतर संघ ने संत कबीर नगर और सिद्धार्थ नगर को अपने संघ से संबद्ध करके मान्यता प्रदान कर दी है। जाहिर है कि वहां की प्रतिभाओं की उम्मीदें भी जगेंगी। लेकिन सामानांतर संघ यह भी जानता है कि राजीव शुक्ला की ताकत और लम्बे प्रशासनिक अनुभव के सामने कोई भी लड़ाई बहुत आसानी से जीती नहीं जा सकती। सूत्र बताते हैं कि राजीव शुक्ला ने यूपीसीए में सभी को चुप रहने और बिना पूछे कोई बयान न देने की नसीहत दी है। संघ के पदाधिकारी भी मानते हैं कि राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी और बोर्ड उपाध्यक्ष उनके बॉस यह सब आसानी से संभाल लेंगे।

 

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