चक दे इंडिया : विराट कोहली ने लगाया विश्व कप फाइनल की हार से मिले जख्म पर मरहम

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– टीम इंडिया चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में, आस्ट्रेलिया को सेमीफाइनल में चार विकेट से हराया
– कोहली शतक से चूके लेकिन खेली आईसीसी सेमीफाइनल में मैच विनर पारी, श्रेयस अय्यर और केएल राहुल की शानदार पारियां

दुबई के इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में मंगलवार को खेले गए पहले सेमीफाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच विराट कोहली (84) की मैच विनर पारी ने नवम्बर 2023 में विश्व कप फाइनल में मिली हार के घाव पर मरहम रख भारत को चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा दिया। कोहली के अलावा श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और हार्दिक पांड्या ने भी शानदार पारियां खेलीं। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने वाली आस्ट्रेलियाई टीम 49.3 ओवर में 264 रन बनाकर आउट हो गई। इसके जवाब में जब भारत ने छह विकेट खोकर लक्ष्य हासिल किया उस समय 11 गेंदों का खेल शेष था। भारतीय खेल प्रेमी जितने खुश तीसरी बार चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचने से थे, उससे कहीं ज्यादा खुश आस्ट्रेलिया से विश्व कप फाइनल की हार का बदला लेने से थे।

भारत के फाइनल में पहुंचने से पाकिस्तान को एक और आघात लगा। भारत के शानदार प्रदर्शन से इस टूर्नामेंट के मेजबान पाकिस्तान के हाथ से न सिर्फ एक सेमीफाइनल की अपने देश में मेजबानी करने का मौका निकल गया बल्कि अब फाइनल भी हाथ से जाता रहा। भारत अब नौ मार्च को दुबई में ही फाइनल खेलेगा। पाकिस्तान की टीम इस टूर्नामेंट में बिना एक भी मुकाबला जीते चैम्पियंस ट्रॉफी से पहले ही बाहर हो चुका है।

आज का दिन भारत और उसके स्टार बल्लेबाज विराट कोहली का था। कोहली ने जिस तरह 265 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए पहला विकेट जल्दी गिर जाने के बाद दबाव में अपनी पारी को रचा गढ़ा वह युवा खिलाड़ियों के लिए उदाहरण है। कोहली ने जिम्मेदारी भरी इस पारी के दौरान 50 से ज्यादा रन तो सिंगल लेकर बनाए। कोहली और श्रेयस अय्यर की जोड़ी को तोड़ने के लिए आस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ ने सारे हथकंडे अपना डाले लेकिन उनको कामयाबी तक मिली, जब भारत मैच में उससे काफी आगे निकल चुका था।

कोहली ने पहले श्रेयस अय्यर (45) के साथ तीसरे विकेट के लिए 91 रनों की साझेदारी कर भारत को संकट से उबारा, उसके बाद अक्षर पटेल और केएल राहुल के साथ भी महत्वपूर्ण साझेदारियां कर टीम को जीत की राह पर ले आए। कोहली अपनी पारी को शतक में भले ही न तब्दील कर पाए हों लेकिन उन्होंने आउट होने से पहले टीम को जीत के काफी करीब पहुंचा दिया था। बाकी का काम केएल राहुल (नाबाद 42), हार्दिक पांड्या (28) की पारियों ने कर भारत को नौंवी बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा दिया। रवीन्द्र जडेजा 2 रन बनाकर नाबाद लौटे।

इससे पहले लगातार 14वीं बार वन डे में टॉस हारने के बाद भारत ने आक्रमण की शुरुआत की। ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और शमी ने अपने दूसरे ही ओवर में कूपर कॉनली का विकेट निकालते हुए ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने का प्रयास किया। हालांकि इसके बाद हेड और स्मिथ ने अच्छी साझेदारी की और भारत पर दबाव बनाने का प्रयास किया। दोनों खिलाड़ियों के बीच कुल 50 रन की साझेदारी हुई, लेकिन उसके बाद नौवें ओवर में वरुण चक्रवर्ती गेंदबाज़ी करने आए और पहली ही गेंद पर उन्होंने हेड को आउट कर भारत को राहत की सांस लेने का मौका दिया।

हेड के विकेट के बाद स्मिथ और लाबुशेन के बीच भी 56 रनों की साझेदारी हुई। ऑस्ट्रेलिया एक समय 37वें ओवर में 198 के स्कोर तक पहुंच गया था। स्मिथ शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन शमी ने उन्हें 73 रनों के निजी स्कोर पर एक फुलटॉस गेंद पर बोल्ड कर उनकी पारी का अंत कर दिया। इसके बाद नियमित अंतराल में विकेटों का पतन होने से आस्ट्रेलियाई टीम बड़ा स्कोर नहीं टांग सकी। मोहम्मद शमी ने तीन और वरुण चक्रवर्ती ने दो विकेट लिए। 265 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत भी कुछ ख़ास नहीं रही। शुभमन गिल (8) और रोहित शर्मा (28) 43 के स्कोर पर ही पवेलियन लौट चुके थे। तब ऐसा लगा कि भारत मैच में पिछड़ सकता है, लेकिन विराट कोहली और श्रेयस अय्यर ने ऐसा नहीं होने दिया। दोनों खिलाड़ियों के बीच 91 रनों की साझेदारी हुई। अय्यर 45 के निजी स्कोर पर ऐडम ज़ैम्पा की गेंद पर बोल्ड हो गए।

मैं हालात के हिसाब से खेलना चाहता था : विराट

विराट कोहली का प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ शतकीय पारी जैसा ही था। मैच के बाद विराट ने कहा कि मैं बस परिस्थिति के हिसाब से खेलना चाहता था। ऐसे मौकों पर साझेदारियां काफी जरूरी होती हैं। जिस तरह से मैं टाइम कर रहा था मैं अपने खेल से खुश था। जब आप एक बल्लेबाज के तौर पर गैप निकालने में सक्षम होते हैं तब बात कुछ और होती है। अगर हाथ में विकेट बचे हों तो रन रेट मायने नहीं रखता, क्योंकि विपक्षी टीम को भी पता होता है कि मैच जीतने के लिए विकेट ही जरूरी है। टीम के लिए मैच जीतना सबसे ज्यादा जरूरी है, व्यक्तिगत उपलब्धियां मेरे लिए मायने नहीं रखतीं और मैंने अपने पूरे कॅरिअर में यही किया है।

 

 

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