संजीव मिश्र
टीम इंडिया ने 2020-21 के पिछले आस्ट्रेलिया दौरे में जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीती थी, तब उसमें चेतेश्वर पुजारा, आंजिक्य रहाणे और हनुमा विहारी का एक छोर चट्टान की तरह संभाले रखने का बहुत बड़ा योगदान था। लेकिन इस बार इन तीनों को ही चयनकर्ताओं ने योजना का हिस्सा नहीं बनाया। अब मिडिल ऑर्डर में टीम इंडिया के पास कोई ऐसा बल्लेबाज नहीं है जो कम से कम एक छोर को ब्लॉक कर सके।
एडिलेड की हार से लगा था जैसे सब कुछ खत्म हो गया
पिछले दौरे के जब एडिलेड टेस्ट में भारतीय टीम 36 रनों पर आउट हो गई थी और कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद भारत वापस लौट आए थे तब आंजिक्य रहाणे की ही कप्तानी में टीम इंडिया ने न सिर्फ वापसी की थी बल्कि चार टेस्ट मैचों की सीरीज में आस्ट्रेलिया को 2-1 से शिकस्त देकर ट्रॉफी को अपने पास बरकरार रखा था। एडिलेड में 36 रनों के स्कोर पर आउट होने और पहला टेस्ट आठ विकेट से हारने के बाद टीम इंडिया के लिए सीरीज में वापसी करना असंभव सा नजर आ रहा था। लग रहा था जैसे इज्जत के साथ ही क्रिकेट में सब कुछ खत्म हो गया।
तब पुजारा और रहाणे ही टीम इंडिया के गार्जियन बने थे
पुजारा (43) और रहाणे (42) ही वह बल्लेबाज थे जिन्होंने एडिलेड की पहली पारी में कोहली (74) के साथ मिलकर टीम इंडिया की पहली पारी का स्कोर 244 तक पहुंचाया था। उस पारी में भी एक तरफ से विकेट गिर रहे थे लेकिन पुजारा ने 160 और रहाणे ने 92 गेंदों तक अपना विकेट नहीं दिया था। विराट कोहली घर लौट चुके थे, जबकि सीनियर गेंदबाज मोहम्मद शमी भी पहले टेस्ट में इंजरी के शिकार होकर पूरी सीरीज के लिए बाहर हो गए थे। ऐसे में पुजारा और रहाणे टीम के गार्जियन बने और शुभमन गिल और रिषभ पंत जैसा युवा बल्लेबाजों में न सिर्फ जोश भरा था बल्कि खुद भी अच्छा प्रदर्शन कर सीरीज में वापसी की थी।
एडिलेड टेस्ट आठ विकेट से हारे, मेलबर्न में आठ विकेट से हराया
मेलबर्न टेस्ट में भारत ने आस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर एडिलेड का हिसाब चुकता किया था। एडिलेड टेस्ट भारत को आठ ही विकेट से खोना पड़ा था। मेलबर्न टेस्ट मैच में कप्तान आंजिक्य रहाणे (112) ने न सिर्फ शतकीय पारी खेली थी, बल्कि पुजारा (70 गेंदों पर 17) के साथ विकेट पर लम्बे समय तक टिके रहकर मेजबान गेंदबाजों को नाको चने चबवा दिए थे। इस मैच में इन्ह दोनों ने आस्ट्रेलिया को कभी हावी नहीं होने दिया था।
टीम इंडिया के गेंदबाजों ने भी बोला था मिलकर हमला
गिल ने 45 और नाबाद 35 रनों की पारियां खेली थीं, जबकि हनुमा विहारी ने भी 66 गेंदों पर 26 रन बनाकर एक छोर मजबूती से संभालकर दिखा दिया था कि भारतीय बल्लेबाज किसी भी विकेट पर अंगद की तरह पांव जमा सकते हैं। इस मैच में बुमराह, सिराज, अश्विन और जडेजा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए आस्ट्रेलिया सीरीज में पहली हार का स्वाद चखाया था।
शरीर पर झेल रहे थे हेजलवुड, कमिंस और स्टार्क की गेंदें
सिडनी के तीसरे टेस्ट को भी ड्रॉ करवाने में इन दोनों के अलावा हनुमा विहारी का बहुत बड़ा योगदान रहा था। पुजारा ने पहले पारी में 50 रन, 176 गेंदों तक विकेट पर खड़े रहकर और दूसरी पारी में 77 रन 206 गेंदों का सामना करके बनाए थे। यह वह पारियां थीं जब आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज स्टार्क, हेजलवुड और कमिंस चढ़कर गेंदबाजी कर रहे थे और उनकी गेंदों को पुजारा, रहाणे और हनुमा विहारी अपने शरीर पर झेल रहे थे।
रहाणे, पुजारा और हनुमा ने बचाई थी भारत की लाज
कप्तान रहाणे ने पहली पारी 22 रन बनाने के लिए 70 गेंदें खेलीं और हनुमा विहारी ने पहली पारी में 4 रन बनाने के लिए 38 और दूसरी में 23 रन के लिए लगभग 27 ओवर (161 गेंद) तक आग उगलती आस्ट्रेलियाई गेंदबाजी का सामना किया। ये तीनों विकेट पर न डटे होते तो भारतीय बल्लेबाजों के सामने अंतिम पारी में 607 रन बनाकर जीत की चुनौती रखने वाली आस्ट्रेलियाई टीम सिडनी में एक बार फिर वापसी कर लेती। लेकिन इन तीनों ने मैच ड्रॉ करवा लिया। इस मैच की दूसरी पारी में आर अश्विन ने भी 39 रन बनाने के लिए आस्ट्रेलिया की 128 गेंदें बर्बाद की थीं।
कंगारू समझ गए थे उनका पाला भारतीय शेरों से पड़ा है
1-1 की बराबरी के बाद सिडनी टेस्ट ड्रॉ छूटने पर आस्ट्रेलियाई टीम को यह अहसास हो गया था कि यह टीम खासी लड़ाकू है और उनका पाला भारतीय शेरों से पड़ा है। हुआ भी ऐसा ही। ब्रिसबेन के गाबा में खेले गए चौथे टेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया का घमंड टूट भी गया। इस मैच में भारत ने तीन विकेट से जीत दर्ज कर सीरीज 2-1 से अपने नाम की। इस मैच में आस्ट्रेलिया ने 369 और 294 रनों की पारियां खेलीं, जबकि भारत ने इसके जवाब में 336 और 329/7 की पारियां खेल गाबा के मिथक को धूल में उड़ाते हुए यह मुकाबला जीत लिया।
इसके बाद रिषभ पंत ने तोड़ा गाबा का घमंड
गाबा टेस्ट के हीरो रिषभ पंत ने दूसरी पारी में नाबाद 89 रन बनाकर आस्ट्रेलिया को जीत के मंसूबे पूरे नहीं करने दिए। इस मैच में भी पुजारा ने दोनों पारियों में कुल मिलाकर 81 रन बनाने के लिए 305 गेंदें खेलीं जबकि रहाणे ने भी 51 रन के लिए 115 गेंद खेल एक छोर संभाले रखा। इस मैच में वाशिंगटन सुंदर (62) और शार्दूल ठाकुर (67) का भी भारत की पहली पारी को अच्छा स्कोर देने में अहम योगदार रहा था। इन दोनों ने वक्त की नजाकत को देखते हुए क्रमश: 144 और 115 गेंदें खेली थीं।
यह गलती आगरकर की चयन समिति को भारी पड़ सकती है
इस बार इनमें से कोई टिकाऊ बल्लेबाज टीम में नहीं है। ऐसे में आस्ट्रेलिया के विकेटों पर टिकने वाले बल्लेबाजों को न ले जाने का बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है। वैसे भी इस बार तो पांच टेस्ट मैचों की फुल सीरीज है। जरा कल्पना कीजिए कि यदि पुजारा, रहाणे और हनुमा विहार के विकेट यदि जल्दी निकल गए होते तो पिछले दौरे की सीरीज आस्ट्रेलिया शायद 4-0 से जीत सकती थी। इस बार ये तीनों ही खिलाड़ी टीम इंडिया की मदद के लिए मौजूद नहीं होंगे। पूरे दौरे में टीम को ढहने से बचाने की भूमिका निभाने वाले इन तीनों बल्लेबाज जैसा मौजूदा टीम में कोई भी नहीं है। यह गलती अजीत आगरकर वाली चयनसमिति क्या भारी पड़ने जा रहे है, यह तो वक्त ही बताएगा।