क्या सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन और डीजीपी के आदेश कानपुर देहात पुलिस के लिए मायने नहीं रखते?

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-रनियां की गत्ता फैक्ट्री अग्निकांड में बिना जांच के हुई दो उद्यमियों पर कार्रवाई पर उद्योगपति लामबंद
-सरकार को घेरने की तैयारी, कल आईआईए कानपुर देहात के पूर्व चेयरमैन सरदार हरदीप सिंह राखड़ा मीडिया के सामने रखेंगे उद्यमियों की बात

कानपुर देहात। रनियां में बीते माह एक गत्ता फैक्ट्री में हुए अग्निकांड के बाद पुलिस की बिना जांच ही की गई कार्रवाई से उद्यमियों में नाराजगी की आग सुलग रही है। इसी को लेकर शुक्रवार को आईआईए कानपुर देहात के पूर्व चेयरमैन सरदार हरदीप सिंह राखड़ा प्रेस कान्फे्रंस कर कारोबारियों की बात राज्य सरकार के सामने रखने जा रहे हैं।

राज्य सरकार कारोबार के लिए हर तरह की सुविधा और सुरक्षा मुहैया कराने के वादे के साथ देशभर के कारोबारियों को यूपी में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित कर रही है लेकिन उसी का पुलिस महकमा उद्योगपतियों का उत्पीड़न करने के लिए न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट बल्कि अपने महकमे के सबसे बड़े अधिकारी के आदेश को भी नहीं मान रहा है।

कानपुर देहात पुलिस ने 21 सितम्बर को रनियां की आर के पॉलीकैप फैक्ट्री (गत्ता फैक्ट्री) में आग लगने से हुई छह लोगों की मौत पर बिना हादसे की तहकीकात किए सबसे पहले फैक्ट्री को सीज कर दो फैक्ट्री मालिकों को जेल में ठूंस दिया। उसने इस कार्रवाई से पहले न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संज्ञान में लेने की जरूरत समझी और न ही अपने विभाग के मुखिया डीजीपी के आदेश को ही कोई तबज्जो दी।

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन पर पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रशांत कुमार ने आदेश दिया था कि उद्यमियों की फैक्ट्रियों में अगर कोई घटना होती है तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले मामले की ठीक से जांच करे और जांच में दोषी पाए जाने पर ही एफआईआर दर्ज करे। लेकिन कानपुर देहात पुलिस ने इस आदेश को मानना जरूरी नहीं समझा और गत्ता फैक्ट्री में हुए अग्निकांड की जांच किए बगैर ही उन दो फैक्ट्री मालिकों को जेल में डाल दिया जो इस हादसे से जन और धन के नुकसान से पहले ही सदमे में थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन संभवत: उद्यमियों के हादसे के वक्त के हालात को समझते हुए ही तैयार की होगी। कोई उद्योगपति नहीं चाहता है कि उसकी चलती यूनिट में किसी तरह का कोई हादसा हो और काम रुक जाए। वैसे भी उद्योगों को चलाने के लिए उन्हें तमाम तरह की कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। लेकिन कानपुर देहात पुलिस ने इस पहलू को समझने की कोशिश नहीं की। उसने तो सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी प्रशासंत कुमार के आदेश को ओवरलुक कर जांच से पहले ही अपना फैसला सुना दो फैक्ट्री मालिकों को बंद कर दिया।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मद्देनज़र डीजीपी प्रशांत कुमार ने उद्यमियों के हक में स्पष्ट आदेश जारी कर रखा है कि यदि किसी फैक्ट्री में कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो सबसे पहले उसकी जांच की जाए और जांच में दोष सिद्ध होने के बाद ही दोषी पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए।

ज़ब व्यापारी नेता और आईआईए कानपुर देहात के पूर्व चेयरमैन सरदार ने आरटीआई के माध्यम ने सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी के आदेश की कॉपी जिलाधिकारी कानपुर देहात आलोक सिंह को दिखायी तब संभवत: उनको भी लगा कि जल्दबाजी में पुलिस से कुछ गलती हो गई है। सूत्र बताते हैं कि अब डैमेज कंट्रोल के लिए जिला और पुलिस प्रशासन जेल मे बंद कारोबारी के परिवार को मनाने में जुट गया है।

डीजीपी के आदेश की धज्जिया उड़ाते कानपुर देहात के एसपी का एक वायरल बयान खुद ही आदेश को हवा में उड़ाने की तस्दीक कर रहा है, वे वीडियो (स्पोर्ट्स लीक एंड न्यूज इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं कर रहा) में कह रहे हैं कि फैक्ट्री सीज़ कर दी है और दो फैक्ट्री मालिकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जांच वांच बाद में देखी जाएगी।

कानपुर देहात के रनियां इंडस्ट्रियल इलाके की आर के पॉलीकैप फैक्ट्री जो इस हादसे में अग्निकुण्ड मे तब्दील हो गयी और 6 मज़दूरों की जलकर मौत हो गयी थी। बताते हैं कि इस मामले में कैबिनेट मंत्री मृतकों के परिजनों से मिले और उन्हें 12 बारह लाख की आर्थिक सहायता राशि दी लेकिन यह नहीं बताया कि जो राशि दी गई वह फैक्ट्री मालिक की ही है। अब इसको लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

 

 

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