संजीव मिश्र। कानपुर। क्या यूपी क्रिकेट टीम मैनेजमेंट ने ही यूपीसीए से सारे मैच लखनऊ में करवाने की जिद की थी? क्या इसके पीछे बड़ी वजह 2023-24 के सत्र के दोनों मैचों बंगाल और आसाम के खिलाफ मैचों में उसे मिले सिर्फ दो अंक हैं। बताते हैं कि ग्रीनपार्क के विकेट से टीम मैनेजमेंट नाखुश था। असल में यूपीसीए सूत्रों से तो कुछ ऐसी ही जानकारी आ रही है। लेकिन इकाना की विकेट पर भी तो ईरानी कप का फैसला पहली पारी की लीड पर हुआ, अब क्या बीसीसीआई कह सकता है कि हम अगली बार इकाना को दिलीप ट्रॉफी या ईरानी कप की मेजबानी नहीं देंगे?
सूत्रों पर यकीन करें तो ग्रीन पार्क में रणजी मैच नहीं खेलने की एक वजह पिछले सीजन के वे दो मैच थे जो ड्रॉ रहे थे। 12 से 15 जनवरी तक हुए ड्रॉ मुकाबले में यूपी को बंगाल से पहली पारी में लीड खा जाने की वजह से सिर्फ एक अंक ही मिल सका था। 2 फरवरी से आसाम के खिलाफ मुकाबले में भी यूपी को सिर्फ एक अंक से ही संतोष करना पड़ा था। दोनों मैचों में बारिश, कोहरा, गीली आउट फील्ड और कम रोशनी की दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। अब यह तो सबको पता है कि जनवरी-फरवरी में उत्तर भारत में कोहरे की मार रहती है।
दूसरे मुकाबले में तो आसाम की पहली पारी भी पूरी नहीं हो पाई थी। सूत्र बताते हैं कि इसी वजह से इस सीजन में टीम मैनेजमेंट ने तीनों मैच लखनऊ में कराने की मांग रखी और यूपीसीए ने बिना खास तर्क वितर्क के उसे मान भी लिया। अब सवाल उठता है कि यदि वाकई टीम मैनेजमेंट ने अपनी चलाई तो यूपीसीए ने यह मांग तुरंत मान क्यों ली? यूपीसीए मुख्यालय कानपुर में ही है। ऐसे में आप अपने ही यहां रणजी मुकाबले न देकर ग्रीनपार्क के मामले में क्या संदेश देना चाह रहे हैं?
इस बार यूपी को रणजी मैच अक्टूबर में भी खेलने हैं और इस महीने कानपुर का मौसम क्रिकेट के लिहाज से शानदार रहता है। फिर अभी बांग्लादेश के खिलाफ हुए टेस्ट मैच के बाद ग्रीनपार्क का विकेट भी तैयार था। गंगा के किनारे स्टेडियम होने की वजह से जनवरी और फरवरी में यहां कोहरा रहता है और कभी-कभी बारिश भी हो जाती है, इसलिए इन महीनों में अक्सर खेल में बाधा पड़ती है जिससे रिजल्ट प्रभावित होता है। पिछले सीजन जनवरी-फरवरी में ही मैच हुए थे, जिस कारण यूपी को पूरे अंक नहीं मिल सके।
यदि सूत्रों से मिली जानकारी सही है तो सवाल यह भी है कि जब यूपीसीए टीम मैनेजमेंट पर मोटी राशि खर्च कर उसे हायर करता है, तो फिर रणजी या अन्य एज ग्रुप मैचों के वैन्यू तय करने का अधिकार उसे ही क्यों देता है? यूपीसीए का लक्ष्य तो घरेलू विकेटों पर होने वाले अपने सभी मैच जीतने का होना चाहिए।
इसके लिए संघ अपने क्यूरेटरों को मैच जीतने लायक विकेट बनाकर देने का टास्क भी तो सौंप सकता है। भारत-बांग्लादेश टेस्ट का परिणाम तो ढाई दिन में ही निकल आया था, जबकि दो दिन बारिश ने खेल नहीं होने दिया था। टेस्ट में रिजल्ट देने की जिम्मेदारी केवल क्यूरेटरों पर नहीं डाली जा सकती, ऐसा बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट में रोहित शर्मा की टीम ने दिखा दिया। आपमें भी तो आगे बढ़कर दिलेर प्रदर्शन करने का माद्दा होना चाहिए।
पूरे विश्व ने देखा कि जिस विकेट पर बांग्लादेश के बल्लेबाज दोनों पारियों में खड़े नहीं हो पा रहे थे, उसी पर सिर्फ 34 ओवरों में भारतीय बल्लेबाजों ने 285 रन ठोंक दिए। अब इसमें बारिश और विकेट की भूमिका कितनी रह गई? यह तो वही बात हो गई ‘नाच न आवे आगन टेढ़ा।’
ग्रीनपार्क को खत्म करने में जब हम खुद लगे हुए हैं तो बाहरियों से वफा की क्या उम्मीद करें? मान लीजिए यदि यह टीम मैनेजमेंट की मांग नहीं भी है तो सवाल उठता है कि क्या यूपीसीए इकाना बनने के बाद कानपुर को साइड लाइन कर रहा है और जब वाराणसी का स्टेडियम बन जाएगा तो कानपुर जैसा हाल इकाना का हो जाएगा?