आस्ट्रेलिया ही नहीं भारत में भी बनती हैं ड्रॉप इन पिचें, मोटेरा के मैदान में 11 ऐसे विकेट

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आस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए पहले टेस्ट मैच के लिए तैयार की गई पर्थ की ड्रॉप इन पिच काफी चर्चा में है। लोग ड्रॉप इन पिच के बारे में जानना चाहते हैं। तो आइए हम बताते हैं कि इस तरह की पिच कैसी होती है और कैसे तैयार करके मैच स्थल तक पहुंचाई जाती है।

पिच को समतल करने के लिए ट्रे में मिट्टी को जमाया जाता है

आस्ट्रेलिया ही नहीं ड्रॉप इन पिचें भारत में भी बनती हैं। अहमदाबाद के मोटेरा मैदान में इसका प्रयोग किया जाता है। इस तरह की पिचें बनाने में लम्बा समय लग जाता है। पिच के निर्माण के लिए एक खास तरह की ट्रे का इस्तेमाल किया जाता है, यह विशेष ट्रे स्टील की होती है ताकि न तो टूटें और न ही खराब होने का डर रहे। पिच को समतल करने के लिए ट्रे में मिट्टी को जमाया जाता है और फिर उसमें घास को रोपा जाता है। पिच तैयार होने के बाद ट्रे को आयोजन स्थल तक ले जाकर स्थापित किया जाता है।

इंस्टालेशन के लिए क्रेन का इस्तेमाल

पिच तैयार होने के बाद इंस्टालेशन के लिए हैवी क्रेन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इससे पहले ही जिस जगह पर ड्रॉप इन पिच को रखा जाना है उतने एरिए की नाप करके उसे उसी आकार में काट दिया जाता है। कितनी गहराई, चौड़ाई और हाइट पर पिच सेट होगी, उस हिस्से को काटने के दौरान इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है।

पर्थ ग्राउंड का विकेट एरिया कवर कर दिया गया

आस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए होने वाली पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच में ड्रॉप इन विकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए पर्थ ग्राउंड को कवर कर दिया गया है, क्योंकि इन दिनों पिच को वहां स्थापित करने का काम चल रहा है। बताते हैं कि दर्शक दीर्घा से इस समय यह दिखाई नहीं पड़ रहा है कि वहां क्या चल रहा है।

पर्थ में ही हुआ था पहली बार ड्रॉप इन पिच का इस्तेमाल

पहली बार ड्रॉप-इन पिच का उपयोग 1970 के दशक में पर्थ में ही किया गया था। यह केरी पैकर क्रिकेट का दौर था, तब वर्ल्ड सीरीज़ में क्यूरेटर जॉन माले की निगरानी में ड्रॉप इन पिच बनाई गई थी। अब ज्यादातर ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग वहां किया जाता है जहां बहुउद्देश्यीय स्टेडियम होते हैं। अर्थात जिन स्टेडियम का इस्तेमाल क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के लिए भी किया जाता है।

ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग क्रिकेट सीज़न में ही होता

ऐसे बहुउद्देशीय स्टेडियमों में ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग केवल क्रिकेट सीजन के दौरान ही किया जाता है। एक बार सीजन खत्म होने के बाद, पिचों को हटा दिया जाता है और अगले सीज़न के लिए सेफ जगह पर रखवा दिया जाता है। आउटफील्ड को कोई नुकसान न हो इसके लिए ड्रॉप इन पिचों को मशीन से घुमाया जाता है। मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ही ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग करते हैं। ऑकलैंड में ईडन पार्क और वेलिंगटन में वेस्टपैक स्टेडियम क्रिकेट, फुटबॉल और रग्बी मैचों की मेजबानी के लिए ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग करते हैं।

एमसीजी, एडिलेड ओवल और पर्थ में ड्रॉप-इन विकेट

ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम (एमसीजी), एडिलेड ओवल और पर्थ के स्टेडियम में ड्रॉप-इन विकेट का उपयोग होता है। ड्रॉप-इन पिचें आम तौर पर सपाट होती हैं। लेकिन पर्थ में इसे उछाल वाली बनाए जाने की चर्चा है। भारत में अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम ड्रॉप-इन पिचों का उपयोग करता है। मोटेरा के मैदान में 11 विकेट हैं, ये सभी अलग-अलग मिट्टी से बनाई गई हैं।

 

 

 

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