जब ग्रीनपार्क को मैच नहीं मिल रहा था तब भी आलोचना हो रही थी : राजीव शुक्ला

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कानपुर। लीडर वही होता है जो संकट के समय आगे बढ़कर अपनी टीम का बचाव करता है। बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने भी कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में सुविधाओं को लेकर लगातार हो रही आलोचनाओं पर अपनी टीम और ग्रीनपार्क स्टाफ का बचाव किया है। बता दें कि दूसरे भारत-बांग्लादेश टेस्ट में दो दिनों का खेल रद्द होने के बाद ग्रीनपार्क स्टेडियम आलोचनाओं का शिकार हो रहा है। खासकर दूसरे और तीसरे दिन बारिश नहीं होने के बावजूद खेल का न हो पाने पर यूपीसीए को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।

राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा, क्रिकेट में बीसीसीआई प्रशासन में आलोचना एक ऐसी चीज है जिसके अब हम आदी हो चुके हैं। लेकिन कमाल तो यह है कि हर चीज की आलोचना की जा रही है। जब हम (कुछ कारणों से) कानपुर को मैच नहीं दे पा रहे थे, तब भी मेरी आलोचना की जा रही थी। अब जब हमने मैच दिया है तो भी मेरी आलोचना हो रही है कि इसे कानपुर को क्यों दिया गया है। यह सिलसिला तो चलता रहता है।

कहा कि समस्या यह है कि यह मैदान लगभग 80 साल पुराना है। यह हमारा हैरीटेज मैदान है। यदि आपको याद हो तो यह एक स्थायी टेस्ट केंद्र हुआ करता था। इसके अलावा प्रमुख छह स्थायी टेस्ट केंद्र कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली, बैंगलोर, मुंबई और थे। 80 ​​साल में यह पहली बार है कि इतनी बारिश हुई कि हम दो दिन तक मैच नहीं करवा पाए। दूसरे और तीसरे दिन खेल के घंटों के दौरान बहुत कम बारिश हुई, लेकिन खेल बर्बाद हो गया। नुकसान दोनों दिनों के खेल से पहले के घंटों में हुई थी और ड्रैनेज सिस्टम इसे संभाल नहीं सका।

उन्होंने कहा कि 80 सालों में ग्रीन पार्क में कोई भी मैच रद्द नहीं हुआ है। दुनिया में ऐसे कई सेन्टर हैं जहां बारिश के कारण मैच रद्द हुए हैं, इसलिए यहां अगर दो दिनों तक मैच नहीं हो सका, तो मुझे नहीं लगता है कि बहुत अधिक हो हल्ला होना चाहिए।

राजीव शुक्ला ने कहा। जब यह मैदान बन रहा था, और स्टेडियम बन रहा था, तब वे एडवांस तकनीकें उपलब्ध नहीं थीं जैसी की अब उपलब्ध हैं। हमारे लखनऊ स्टेडियम में, हमें वह तकनीक मिल गई है। वाराणसी में हम एक और स्टेडियम बना रहे हैं। वहां हमारे पास बारिश के पानी को निकालने के लिए उच्च व एडवांस तकनीक है। यहां भी हम योजना बना रहे हैं। आज मैंने प्रशासन के साथ इस बारे में चर्चा की कि हम इस ड्रैनेज सिस्टम को डवलप कर सकते हैं जिससे बारिश के पानी को तुरंत निकाला जा सके।

कहा कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ग्रीन पार्क स्टेडियम का उपयोग यूपी सरकार के साथ एक समझौते के आधार पर करता है। जमीन पर सरकार का मालिकाना हक है लेकिन एमओयू के आधार पर स्टेडियम और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी यूपीसीए की है। मैं जैसे ही यहां आया, मेरी सरकारी अधिकारियों से लंबी चर्चा हुई क्योंकि यह स्टेडियम सरकार का है। हम उनसे सहमत हैं। तो अब इसके लिए जमीन खोदनी होगी, नई तकनीक से सब कुछ करना होगा वे भी इस पर एकमत हैं और मुझे लगता है कि हम जल्द ही यहां की स्थितियों में सुधार करने में सक्षम होंगे।

मैच में बारिश की बाधा को लेकर कहा कि कभी-कभी ऐसा होता है, हालांकि हम सभी भगवान इंद्र से प्रार्थना करते हैं कि बारिश न हो, लेकिन, आप जानते हैं, ऐसा होता है और यह पूरी दुनिया में होता है। तो, अनावश्यक रूप से उसके लिए कानपुर और ग्रीन पार्क को दोषी क्यों ठहराया जा रहा है जो प्रकृति के हाथ में है?

 

 

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