कानपुर। उम्र के नौवें दशक तक स्कूटी से ग्रीनपार्क स्टेडियम पहुंच लोकल लेवल के मैचों को देख युवा क्रिकेटरों की तारीफ करने वाले वयोवृद्ध क्रिकेटर गुलाम मोहिउद्दीन नहीं रहे। वे लगभग 88 वर्ष के थे। उन्होंने शनिवार सुबह 8 बजे अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से बीमार थे और घर से कहीं आ जा नहीं रहे थे। कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. संजय कपूर ने उनके निधन पर अफसोस प्रकट किया है। कानपुर नगर क्रिकेट एसोसिएशन के राम गोपाल शर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने अपने मौजूदा डायरेक्टर के निधन पर शोक जताया है। इसके अलावा उनके काफी नजदीक रहे पूर्व तेज गेंदबाज शलीश बेग ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट किया है।
अंतिम सांस तक क्रिकेट को जीने और उसके भले के लिए सोचने वाला उनके जैसा दूसरा क्रिकेटर नहीं देखा गया। यूपीसीए में जब-जब उन्हें कुछ गलत दिखा उन्होंने उसके खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई। वह क्रिकेट हित में बात करते थे इसलिए यूपीसीए के पूर्व सचिव राजीव शुक्ला भी उनका सम्मान करते थे और उनको किसी न किसी कमेटी में जरूर सक्रिय रखते थे। वयोवृद्ध पूर्व क्रिकेटर को अपने अंतिम दिनों में भी अपने बजाय यूपी क्रिकेट की गिरती सेहत की ज्यादा चिंता थी। कुछ दिनों पहले उनका फोन आया तब वे काफी निराश थे। बोले भाई अब तो मैं घुटनों की तकलीफ बढ़ने की वजह से घर से निकल भी नहीं पा रहा हूं।
गुलाम मोहिउद्दीन के बारे में रणजी मैचों के दौरान बाहर से आने वाले खेल पत्रकार शर्त लगाया करते थे कि देखना कि वे जरूर स्टेडियम में बैठे दिखेंगे। और होता भी यही था। पहली बॉल डाले जाने से पहले ही कानपुर क्रिकेट का सबसे बुजुर्ग खिलाड़ी मैदान में डट जाता था। यह सिलसिला 86 की उम्र तक बदस्तूर जारी रहा। जब 87 के हुए तो आना थोड़ा कम हो गया क्योंकि तब वे शरीर कमजोर हो जाने की वजह से स्कूटी चलाने से हिचकने लगे थे।