बेंगलुरु – इंटरनेट प्राैद्योगिकी कंपनी गूगल ने भारत के स्वास्थ्य सेवा, विशेष रूप से नेत्र परीक्षण के जरिये मधुमेह की जांच में कृत्रिम मेधा की अपनी प्रौद्योगिकी देने के लिये भारत में कुछ स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला चलाने वाली कंपनियों के साथ समझौता किया है। गूगल ने स्वस्थ आर्थिक विकास और कृषि क्षेत्रों की मदद करने के लिये भी अपने कृत्रिम-मेधा (एआई) आधारित अनुसंधान और मॉडल प्रस्तुत करने के लिये नयी साझेदारियों की घोषणा की है। कंपनी ने गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि इनके तहत वह मधुमेह के उपचार में जाँच को बढ़ाने में मदद करने के लिये फॉरस हेल्थ और आउरोलैबके साथ साझेदारी कर रही है।
कंपनी देश में पुनर्चक्रण अर्थव्यवस्था की मदद के लिये ‘साहस ज़ीरो वेस्ट’ के साथ और कृषि क्षेत्र के लिए ऐप विकसित करने वाली इकाइयों के लिये अपने कृषि परिदृश्य ज्ञान (एएलयू) अनुसंधान एपीआई की सुविधा भी प्रदान करेगी। कंपनी ने ये घोषणाये यहां संपन्न गूगल फॉर इंडिया सम्मेलन में की। बेंगलुरु में गूगल की अनुसंधान प्रयोगशाला के पांच साल पूरे होने पर आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में ‘गूगल डीपमाइंड’ के अनुसंधान निदेशक डॉ मनीष गुप्ता ने कहा, “ हम एआई का लाभ सर्वसाधारण तक पहुंचाना चाहते हैँ । इसी दृष्टि से हम प्रमुख भारतीय संगठनों के साथ सहयोग करते हुये, भारत में भाषा समझ, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और स्थिरता पर हमारा केंद्रित शोध देश की कई अनूठी चुनौतियों से निपटने और एआई-आधारित समाधान बनाने में मदद कर रहे है जो अरबों लोगों के जीवन को बेहतर बनायेगा।”
विज्ञप्ति के अनुसार गूगल ने भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और स्वास्थ्य-तकनीक भागीदारों फॉरस हेल्थ और आउरालैब, और थाईलैंड में परसेप्ट्रा को अपने डायबिटिक रेटिनोपैथी एआई मॉडल का लाइसेंस दिया है। इसके मदद से 10 वर्षों में भारत और थाईलैंड में डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिये लगभग 60 लाख एआई आधारित जांचे की जा सकेंगी और रोगियों को काई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। गूगल का कहना है कि इस मॉडल का उद्देश्य मधुमेह के रोगियों में रोकथाम योग्य अंधेपन को संबोधित करना, बड़े पैमाने पर शुरुआती पहचान के साथ चिकित्सकों की सहायता करना और बदले में समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप में सहायता करना है। फॉरस हेल्थ के संस्थापक एवं सीईओ के चंद्रशेखर ने कहा कि इस सहयोग से हमें लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने और रोकथाम योग्य अंधेपन को खत्म करने के अपने मिशन को पूरा करने का भरोसा है।