शर्म करो! भारतीय क्रिकेट में जो पहले कभी नहीं हुआ वह वानखेड़े स्टेडियम में हो गया

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-न्यूजीलैंड ने भारत का टेस्ट सीरीज में 0-3 से सफाया कर दिया
– तीसरा व अंतिम टेस्ट भारत 25 रनों से हारा, सिर्फ पंत ही खेल पाए

भारतीय क्रिकेट की अपने घर पर कभी इतनी फजीहत नहीं हुई। लेकिन जो पहले कभी नहीं हुआ वह रोहित शर्मा की कप्तानी में उन्हीं के घर वानखेड़े स्टेडियम में हो गया। पहले बेंगलुरू, फिर पुणे और अब मुंबई। हर बार मैच के अंत में भारतीय बल्लेबाजों के झुके हुए सिर मैच की पूरी कहानी बयां कर देते हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरी व अंतिम टेस्ट मैच का रिजल्ट यह रहा कि भारत का घर में खेलीं 65 टेस्ट श्रंृखलाओं में पहली बार किसी टीम ने 0-3 से मान मर्दन करते हुए पूरी तरह सफाया कर दिया।

टीम के प्रदर्शन की जांच होनी चाहिए

ड्रेसिंग रूम में धीर गंभीर बैठे कोच गौतम गंभीर ठोड़ी पर हाथ रखे सोच रहे थे कि अचानक यह क्या हो गया हमारे दिग्गजों को? क्या यह मेरे ही कार्यकाल में होना था? पहले टेस्ट में तेज गेंदबाजों से हारे, पुणे और मुंबई में स्पिनरों ने नचाया। यानि तेज और स्पिन दोनों ही तरह की गेंदबाजी के सामने हम फेल रहे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को बल्लेबाजों के इस सीरीज में किए गए प्रदर्शन की जांच करनी चाहिए कि अचानक यह क्या हो गया टीम को?

सीरीज में सफाये के लिए कोई बहाना ठीक नहीं

रिषभ पंत को विवादास्पद तरीके से आउट दिया जाना टर्निंग प्वाइंट हो सकता है लेकिन सीरीज में तीनों टेस्ट में हार के लिए कोई भी बहाना बिल्कुल नहीं चलने वाला। जहां तक रिषभ पंत को आउट देने की बात है तो क्रिकेट में ऐसा होता रहता है, फर्क बस इतना है कि इस बार हम फंसे। अक्सर विपक्षी टीम भी इस इस तरह के फैसलों का शिकार बनती रही है। हम एक खिलाड़ी के दम पर इस लो स्कोरिंग मैच को जीतने की कोशिश करते हैं लेकिन बाकी की क्या जिम्मेदारी थी?

कप्तान का हर हार के बाद एक सा बयान

मैच के बाद कप्तान रोहित शर्मा हर बार यह रटी रटाई बात दोहरा देते हैं कि कभी-कभी ऐसा हो जाता है, हम अच्छा नहीं खेले, न्यूजीलैंड ने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया, हम इस प्रदर्शन से निराश हैं, हम हार की जिम्मेदारी लेते हैं। लेकिन जब आप बार-बार खराब प्रदर्शन ही करते हैं तो मुंह छिपाने के लिए इन बयानों का कोई मतलब नहीं रह जाता।

टीम मैनेजमेंट क्या इस तरह के विकेटों की मांग करता है?

सवाल यह भी उठता है कि क्या हमारा टीम मैनेजमेंट क्यूरेटरों से इस तरह के विकेटों की मांग करता है? क्या फायदा ऐसे विकेटों से जिन पर हमारे बल्लेबाज पूरी सीरीज में न्यूजीलैंड के गेंदबाजों के सामने स्कूली खिलाड़ियों की तरह लाइन लगाकर पवेलियन लौटते नजर आए। कोई भी टीम भारत में स्पिन ट्रैक के लिए होमवर्क करके आती है, क्योंकि वो जानती है कि भारत का क्रिकेट इतिहास ही स्पिनरों के दम पर श्रंृखलाएं अपने नाम करने का रहा है। श्रीलंका के खिलाफ स्पिन ट्रैक पर परेशान होने वाली कीवी टीम ने उस सीरीज में अपनी हार से सीखा और तैयारी कर भारतीय बल्लेबाजों को उसी के हथियार से घुटने टिकवा दिए।

स्पोर्टिंग विकेट क्यों नहीं बनाए जाते?

हमारे क्यूरेटरों पर भी सवाल उठता है कि वे टेस्ट मैच के विकेटों को ढाई या तीन दिन के लिए ही क्यों तैयार करते हैं? वानखेड़े में पहले सेशन से ही स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलने लग गई थी। ऐसे में मैच तो सवा दो दिन में खत्म होना ही था। आप दर्शकों को पांच दिन के खेल के नाम पर महंगे टिकट बेचने के बाद सिर्फ ढाई तीन दिन का क्रिकेट दिखाकर बेवकूफ बना देते हैं। आखिर स्पोर्टिंग विकेट क्यों नहीं बनाए जाते? रिजल्ट की सुनिश्चितता के लिए क्यूरेटर भी भारतीय क्रिकेट की कब्र खोदने के बराबर के गुनहगार हैं।

आप खुशकिस्मत हैं जो भारतीय खिलाड़ी हैं

विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल का ख्वाब तो अब भूल ही जाइए, हां आस्ट्रेलिया में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में क्या करना है इस पर फिर से विचार होना चाहिए, क्योंकि इस टीम से जब अपने ही विकेटों पर बल्लेबाजी नहीं हो पाई तो आस्ट्रेलिया के तेज और बाउंसी विकेटों पर किस हौसले के साथ उतरेंगे। हमारे क्रिकेट के सूरमाओं को खुश होना चाहिए कि वे भारतीय खिलाड़ी हैं जहां पाकिस्तान जैसा क्रिकेट बोर्ड और जनता नहीं है, वरना बाबर आजम और शाहीन आफरीदी का हाल देख लीजिए, खैर मनाइये आपको इस तरह का कोई डर नहीं है।

रोहित शर्मा और विराट कोहली की फॉर्म आस्ट्रेलिया जाने लायक नहीं

फिर भी रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों को खुद ही अपनी खराब फॉर्म का हवाला देते हुए आस्ट्रेलिया के दौरे से हट जाना चाहिए लेकिन ऐसा होगा नहीं, क्योंकि वे हटना भी चाहें तो इनके बल्लों पर अपने स्टीकर चस्पा करने वाली कंपनियां ऐसा नहीं होने देंगीं। चयनकर्ताओं के पास अभी मौका है, वे आस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुनी गई टीम से भारत ए टीम के कुछ खिलाड़ियों को रिप्लेस कर सकते हैं। बेहतर होगा कि आप नाम की बजाए परर्फामेंस देख टीम उतारें और देवदत्त पल्लीकल और साई सुदर्शन जैसे खिलाड़ियों को आस्ट्रेलिया में रोककर मौका दें।

भारत को सिर्फ 147 रनों का लक्ष्य मिला था

भारत को इस मैच में जीतने के लिए सिर्फ 147 रनों का लक्ष्य ही मिला था लेकिन नौ नम्बर तक बल्लेबाजी वाली टीम इंडिया 121 रनों पर ही भरभरा गई। रिषभ पंत ही एक मात्र सूरमा रहे जिन्होंने कुल स्कोर के आधे से ज्यादा (64) रन बनाए। दूसरा और तीसरा सवार्ेच्च स्कोर वाशिंगटन सुंदर (12) और रोहित शर्मा (11) का रहा।

प्लेयर ऑफ द मैच एजाज पटेल

प्लेयर ऑफ द मैच एजाज पटेल ने दूसरी पारी में भी शानदार गेंदबाजी की और छह विकेट लिए, जबकि ग्लेन फिलिप्स ने तीन बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। सुबह रविन्द्र जडेजा ने एजाज पटेल को आउट कर दूसरी पारी का पांचवां और मैच का दसवां विकेट लिया। न्यूजीलैंड की दूसरी पारी 174 रनों पर समाप्त हुई।

 

 

 

 

 

 

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