कानपुर। यूपीसीए भारत-बांग्लादेश के बीच 27 सितम्बर से होने वाले सीरीज के दूसरे और अंतिम टेस्ट के लिए ग्राउंड, स्टेडियम और होटल समेत अन्य जरूरतों का तो पुख्ता इंतजाम कर रहा है लेकिन अभी तक इंडोर नेट्स को उसने धुंधले चश्मे से ही देखा है। सच कहा जाए तो नेट्स टेस्ट स्तरीय खिलाड़ियों के लिहाज से पूरी तरह तैयार नहीं हैं।
नेट्स के विकेटों के लिए रन अप एरिया कम है। 66 फीट समेत कुल 120 फीट का एरिया होना चाहिए ताकि बॉलर को रनअप में दिक्कत न आए लेकिन ऐसा नहीं है। कम से कम दो बॉलिग मशीनों की भी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में यदि मैच के दौरान बारिश की वजह से बाधा उत्पन्न होती है तो खिलाड़ियों के पास पवेलियन में बैठने या होटल में लौट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
इसके अलावा क्वालिटी टर्फ विकेट भी नहीं हैं। इंडोर नेट्स में लाइट की भी कमी है। बारिश में क्लॉउडी वेदर में लाइट और कम हो जाती है इसके लिए नेट्स पर पर्याप्त लाइट होना भी जरूरी है। मौसम विभाग टेस्ट मैच के पहले चार दिन बारिश की संभावनाएं जता रहा है। हालांकि यदि हल्की बारिश होती है तो मैच पर खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन यदि बंगाल की खाड़ी में बन रहा प्रेशर बढ़ जाता है तो तेज बारिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
संभवत: यूपीसीए ने इंडोर नेट्स पर इसी लिए फोकस नहीं किया हो क्योंकि कम समय में इतनी कमियों को दूर करना उसके लिए संभव न हो। सारी कमियां दूर हो सकती हैं लेकिन क्वालिटी टर्फ विकेट इतनी जल्दी तैयार नहीं हो सकते।
सही लिखा है आपने। यूपीसीए अभी भी 15 से 20 साल की पुरानी मानसिकता से गुजर रहा है। 3 साल टेस्ट मैच मिला है। बाबा आदम वाली तैयारियों के बूते कैसे मैच खेला जाएगा। जैसा आपने लिखा है उसी तरीके से खेला जाएगा।