कांव-कांव : जुगाड़ है तो सब संभव है, एक घायल खिलाड़ी पट्टी बांधे टीम के साथ और एक ने होटल में ही काटा बवाल

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– महिला टीम में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा, मनमाने चयन के लग रहे आरोप
– जो 23 में भी नहीं थी उसकी इन्ट्री हो गई, जिनके पास जुगाड़ नहीं वे बाहर हैं

जुगाड़ है तो सब संभव है, एक खेल में ऐसा ही कुछ चल रहा है। जहां घायल खिलाड़ी टीम के साथ सफर करती है और जो खेल सकती है उसे मानसिक तौर पर इतना प्रताणित किया जाता है कि वह तंग आकर टीम होटल के अंदर ही अपना सिर ही फोड़ लेती है। लेकिन हमें क्या, हमारा कौआ सच या अफवाह, जैसी भी खबर लाता है हम आप तक पहुंचा देते हैं। कांव-कांव को राजधानी से खबर पता लगी है कि एक पापुलर खेल में किसी राज्य की महिला टीम में काफी गड़बड़झाला चल रहा है। खिलाड़ियों के मनमाने चयन और मैदान में उतरने वाली फाइनल टीम में भी अपनी चला रहे टीम प्रबंधन से खिलाड़ी नाराज हैं। चर्चा है कि एक खिलाड़ी तो इस कदर अपना आपा खो बैठी कि तैश में आकर खुद को ही घायल कर लिया। 15 की टीम में शामिल इस प्लेयर को उसके घर वापस भेज दिया गया है। इस खिलाड़ी के बारे में जो और जानकारियां मिल रही हैं, उसके बारे में फिर कभी।

हाल ही में ट्रायल के बाद चुनी गई इस टीम में एक खिलाड़ी इंजरी के बावजूद सूची में जगह बनाने में सफल रही। पता तो यहां तक चला है कि उसके टांके भी अभी नहीं सूखे हैं और इंजरी वाली जगह पर पट्टी बंधी है। फिर भी इसे 15 की टीम में जगह मिल गई। अब पूछिए कैसे मिल गई? चर्चा है कि वह कोच की भतीजी की खास दोस्त है, इसलिए उसको इंजरी के बावजूद टीम में जगह देकर राजधानी रवाना कर दिया गया। लेकिन घायल होने की वजह से वह अभी तक खेलने नहीं उतर सकी है। इसको शामिल करके किसी अन्य खिलाड़ी का अवसर छीन लिया गया।

हालांकि जिस खिलाड़ी के हाथ में इंजरी है वह फिट होती तो टीम में जगह बनाने की काबिलियत रखती है, क्योंकि वह एक अच्छी खिलाड़ी है और भविष्य में उसका सुनहरा कॅरिअर बन सकता है। लेकिन फिलहाल इस खिलाड़ी ने एक खिलाड़ी की जगह बेवजह घेर रखी है। बताया जा रहा है कि अक्टूबर में उसकी सर्जरी हुई थी। टीम की जिस फीजियो ने उसे सर्जरी करवाने को कहा था उसी को उसकी फिटनेस रिपोर्ट भी देनी थी। लेकिन फिटनेस रिपोर्ट मिली ही नहीं। फिर भी उसे टीम के साथ भेज दिया गया।

एक खफा अभिभावक ने आरोप लगाया कि ट्रायल की शुरुआत में तो अन्य चयनकर्ता मौजूद थीं लेकिन चयन प्रक्रिया के प्रैक्टिस मैचों के दौरान सिर्फ एक सिलेक्टर ही दिखी, जिससे साफ है कि मिलीभगत से टीमें बन रही हैं। जब ट्रायल में आप खिलाड़ी के टैलेंट को देखेंगी ही नहीं तो कैसे तय कर लेंगी कि किसमें कितनी प्रतिभा है और किस खिलाड़ी में नहीं। उसने आरोप लगाया कि इसका तो मतलब यह है कि आपस में फोन पर ही तय कर लिया जाता है कि किसे लेना है और किसे नहीं।

चर्चा तो यह भी है कि एक खिलाड़ी ने टीम में होने के बावजूद खेलने न देने पर होटल में ही बवाल काट दिया। पता चला है कि यह खिलाड़ी टीम के अंदर चल रही राजनीति की वजह से होटल में इतनी उग्र हो गई थी कि उसने अपना सिर दीवार से टकराकर खुद को घायल कर लिया। उसकी तबीयत बिगड़ते देख टीम के कर्ता-धर्ता हड़बड़ा गए। पहले तो उसके इलाज के लिए दौड़-भाग मची रही फिर किसी के साथ उसके घर रवाना कर दिया गया।

अब पता चला है कि उसके स्थान पर 18+5 की घोषित टीम में से 23वें नंबर की खिलाड़ी को 15 की टीम में डाल दिया गया, जबकि जगह बनती थी 16 या 17 नंबर की खिलाड़ी की। और तो और एक अन्य खिलाड़ी जो 45 में भी नहीं थी, उसे 19वीं खिलाड़ी के तौर पर टीम में शामिल कर लिया गया। इस खिलाड़ी के पीछे विपक्ष के एक बड़े नेता का रसूख बताया जा रहा है। उसी के दबाव का नतीजा है कि इस सिफारिशी खिलाड़ी ने कहीं अच्छी खिलाड़ियों को लांघकर टीम में जगह बना ली। इसकी सिफारिश ऊपर से आई बताई जा रही है।

सूत्र बताते हैं कि इस खेल में आगरा और कानपुर के कनेक्शन वाली महिलाओं का दिमाग चल रहा है। ये महिलाएं हाल ही में बनी एक साफ सुथरी छवि वाली सेलेक्टर के कंधे पर बंदूक रखकर फायर कर रही हैं। अब इस खबर में कितनी सच्चाई है इसका तो पता नहीं लेकिन वो कहा जाता है ना कि बिना आग के धुआं नहीं उठा करता।

 

 

 

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