यूपीसीए अपेक्स काउंसिल की बैठक में पहली बार खुलकर बोले सदस्य, क्रिकेट हित में कई सुझाव आए

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– यूपीसीए में चल रही मनमानी के खिलाफ मुखर हुए कई सदस्य, अगली बैठक में आयोजनों में हुए खर्च का ब्यौरा पेश करने को कहा

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में यस सर, जी सर का समय खत्म होता नजर आ रहा है। कम से कम अपेक्स काउंसिल की बैठक में तो शनिवार को ऐसा ही कुछ नजर आया। मुंह पर उंगली रखकर हर मुद्दे पर ओके पास, ओके पास कहने वाले सदस्यों के मुंह से अब आवाज निकलने लगी है। किसी बैठक में पहली बार सदस्यों को खुलकर बोलते देखा गया। सदस्यों की तरफ से कई मांगें उठाई गईं। कई अच्छे सुझाव रखे गए तो उन पर विचार करने का आश्वासन भी मिला। मीटिंग में सदस्यों ने यूपीपीएल और अन्य आयोजनों पर किए गए खर्च का ब्यौरा तलब किया। साफ दिखा कि अच्छे होमवर्क के साथ मीटिंग में भाग लेने आए थे अपेक्स काउंसिल के सदस्य।

कमला क्लब स्थित यूपीसीए मुख्यालय में हुई बैठक में माहौल नरम-गरम होता रहा लेकिन इस दौरान कई जरूरी विषय भी उठे। बैठक में यूपी के लिए कम मैच खेलने वाली महिला और पुरुष खिलाड़ियों को ग्रेटीज के रूप में हर माह कुछ आर्थिक मदद करने की मांग रखी गई। अंकित सिंह राजपूत जैसे खिलाड़ियों को संन्यास घोषित करने के लिए मजबूर किए जाने पर हैरानी जताई गई। लम्बा समय यूपी को देने वाले खिलाड़ियों के लिए सम्मानजनक विदाई सुनिश्चित करने की भी मांग उठी। प्लेयर्स क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से पूर्व रणजी कप्तान राहुल सप्रू और पूर्व महिला क्रिकेटर अर्चना मिश्रा ने खिलाड़ियों के हित के लिए कई सुझाव भी पेश किए।

पूर्वांचल के खिलाड़ियों की क्यों अनदेखी हो रही

राहुल सप्रू ने पूर्वांचल के खिलाड़ियों को मौका न मिलने का उठाते हुए सवाल किया कि वहां की प्रतिभाओं को क्यों नहीं मौका मिलता है, जबकि एक दो जिलों से कई-कई खिलाड़ी टीम में शामिल कर लिए जाते हैं। उन्होंने टी-20 में टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव और टीम इंडिया के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल का उदाहरण देते हुए कहा कि यही वजह रही कि ये दोनों खिलाड़ी यूपी छोड़कर दूसरे स्टेट से खेलने चले गए।

यूपी के लिए 80 मैच खेलने वाले गेंदबाज अंकित राजपूत को हटाने के तरीके पर भी राहुल सप्रू ने आपत्ति जताई। कहा कि अंकित राजपूत के साथ गलत व्यवहार हुआ। जो खिलाड़ी अपने स्टेट के लिए लम्बे समय तक खेला हो, उसको स्टैंड बाई में रखकर बेइज्जत क्यों किया गया। उसको विश्वास में लेकर सम्मानजनक विदाई भी दी जा सकती थी।

अपेक्स काउंसिल की मीटिंग में यूपीपीएल और अन्य प्रतियोगिताओं व आयोजनों में किस मद में कितना खर्च किया गया इसका ब्यौरा मांगा गया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अपेक्स के सदस्यों को इसका विवरण उपलब्ध करवाया जाए, क्योंकि क्या खर्च होता है इसकी जवाबदेही जब अपेक्स काउंसिल की भी बनती है तो इनको सारी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने अगली मीटिंग में इसका ब्यौरा रखने को कहा गया है।

एक पदाधिकारी होने वाले खर्च पर सवाल उठा उन पर हर महीने होने वाले खर्च का विवरण मांगा गया। यह भी पूछा गया कि यूपीसीए में इनका रोल क्या है, इनका टीए/डीए कितना है, ये कई पोस्ट पर क्यों काबिज हैं। इनका सलेक्शन में हस्तक्षेप क्यों है? सूत्रों के अनुसार यह पदाधिकारी एक दिन पहले सदस्यों के होटल पहुंच अपने खिलाफ बने माहौल को शांत करने के लिए सदस्यों से हंगामा न करने की गुजारिश करता रहा लेकिन बात बनी नहीं।

अर्चना मिश्रा ने यूपी में महिला टी-20 लीग करवाने की मांग की। उन्होंने पुरुष चयनसमितियों की तरह ही महिलाओं की भी अलग-अलग जूनियर और सीनियर चयन समितियों को चुने जाने और उनका कार्यकाल निर्धारित करने की मांग की। उन्होंने महिलाओं की विभिन्न प्रदेश टीमों के लिए अलग-अलग कोच और मैनेजर की नियुक्ति की मांग उठाई। इसके अलावा यूपी टीम के अच्छा परफॉर्मेंश न करने के बावजूद उसकी चीफ कोच को कई सालों से बरकरार रखने पर सवाल उठाया। यूपीसीए के अध्यक्ष निधिपत सिंहानिया अर्चना के कई बिंदुओं से सहमत नजर आए और उन्होंने उनको नोट करने को कहा।

अर्चना ने मांग रखी कि सलेक्शन के समय महिला चयन समिति की सभी सदस्यों को ट्रायल में रहना अनिवार्य किया जाए और टेलीफोनिक मीटिंग व मैसेजिंग से सलेक्शन की प्रक्रिया को रोकने की मांग की। बता दें कि पीछे कुछ टीमों के चयन ट्रायल के दौरान यह आरोप लगे थे कि सलेक्शन के समय एक या दो सलेक्टर ही खिलाड़ियों को परखती हैं बाकी सलेक्टर मैसेजिंग से टीम में किसे रखना है और किसे बाहर करना है तय कर लेती हैं। हालांकि आपकी वेबसाइट इन आरोपों की पुष्टि नहीं कर रही।

एक मुद्दा लखनऊ में अंडर-19 महिला टीम का कैम्प लगाने को लेकर भी उठाया गया। पूछा गया कि जब ग्रीनपाक स्टेडियम और कमला क्लब उपलब्ध था तो लखनऊ में कैम्प लगाने और 41 खिलाड़ियों के लिए होटल बुक कराने की क्या जरूरत थी। इस पर जब कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया गया तो माहौल थोड़ा गरमा गया। राहुल सप्रू ने सीईओ से कहा कि आप तो कोई जवाब ही ठीक से नहीं देते हैं जैसे कि आपने टाल मटोल करने की पीएचडी कर रखी हो।

ये प्वाइंट भी अर्चना मिश्रा की तरफ से रखे गए

– फाइनल सलेक्शन के समय खिलाड़ियों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य हो, क्योंकि पिछले दिन एक घायल खिलाड़ी को भी टीम के साथ टूर पर ले जाया गया था।
– सवाल किया गया कि हेमलता काला कितने पदों पर एक साथ काम कर रही हैं और कोच का कार्यकाल कितने सालों का है?
– सलेक्टर, कोच और टीमों के सपोर्ट स्टाफ का कार्यकाल निर्धारित और लिखित रूप से होना चाहिए।
-कुछ सपोर्ट स्टाफ, सलेक्टर और कोच को कई साल बरकरार रखा जाता है और कुछ को एक या दो साल में ही बिना सूचना के हटा दिया जाता है, ऐसा न हो।
-सलेक्शन ट्रायल की जगह स्टेट लेवल पर सलेक्शन मैच हों और उसमें किए परफॉर्मेंस के अनुसार टीम में खिलाड़ियों का चयन किया जाए।
– मेन्स क्रिकेट कोच की तरह ही वुमेन्स टीम के कोच की टीम और खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर जवाबदेही होनी चाहिए। कोच के कार्यकाल में टीम क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल में कितनी बार पहुंची इसके आधार पर ही कोच का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए।
– यूपी टीम में बाहरी खिलाड़ियों की इन्ट्री तुरंत बंद होनी चाहिए, ताकि प्रदेश की लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा मौका मिल सके।

यूपी की खिलाड़ियों को क्यों नहीं टीम इंडिया में जगह मिल रही

अर्चना मिश्रा ने यूपीसीए को किए गए ई मेल में इन बिन्दुओं का जिक्र करते हुए कई सालों से यूपी की खिलाड़ियों को टीम इंडिया में जगह न मिलने का भी मुद्दा उठाया। कहा कि 8-9 सालों से इंडिया की सलेक्शन कमेटी की चेयरपर्सन यूपी से ही हैं, फिर क्या कारण हैं कि उनके ही राज्य की खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पा रही है।

नौ साल पहले पूनम, एकता और दीप्ती को मिला था मौका

अर्चना मिश्रा ने यह भी कहा है कि 5 वर्ष इंडिया की सलेक्शन कमेटी की चेयरपर्सन हेमलता काला रहीं, जबकि लगभग 4 सालों से नीतू डेविड चेयरपर्सन हैं लेकिन फिर भी यूपी की खिलाड़ियों को इंडिया टीम में जगह नहीं मिल पा रही। उन्होंने आश्चर्य जताया कि पूनम यादव, एकता बिष्ट और दीप्ति शर्मा के बाद कोई खिलाड़ी इंडिया टीम से नहीं खेली। उनका कहना था कि ये खिलाड़ी रीता डे के कार्यकाल में टीम इंडिया में सलेक्ट हुई थीं। इसके बाद यूपी की किसी खिलाड़ी को इंडिया की सीनियर टीम के लायक नहीं समझा गया। अर्चना मिश्रा ने कहा कि इन सभी बिन्दुओं पर क्या किया गया उसका जवाब अगली बैठक में रखा जाए।

 

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