- 7 मई को रात 9.30 बजे से 10.00 बजे के मध्य हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली के आकलन के लिए ब्लैक आउट किया जाएगा
- रात 9.30 बजे से लेकर 9.33 बजे के मध्य सायरन की तेज आवाज बजाई जाएगी और इसे सुरक्षा मानकों के अनुसार तीन मिनट की अवधि में हाई एवं लो पिच पर बजाया जाएगा
- पुन: रात 10.00 बजे ‘ब्लैक आउट’ अवधि की समाप्ति पर तीन मिनट का सायरन बजाया जाएगा, जिससे यह संकेत मिलेगा कि ब्लैक आउट की अवधि अब समाप्त हो गई है
कानपुर। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं। सात मई को भारत में मॉक ड्रिल के लिए जारी निर्देश में ब्लैकआउट की भी बात है। तो जानिए कि युद्ध के दौरान ब्लैकआउट का क्या मतलब होता है। गृह मंत्रालय, भारत सरकार एवं नागरिक सुरक्षा विभाग, उ०प्र० शासन के निर्देशों के अनुसार नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के अंतर्गत कानपुर महानगर क्षेत्र में बुधवार को शाम 4 बजे से नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाना है। नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल का लक्ष्य नागरिकों को आपात स्थिति में व्यवस्थित और त्वरित प्रतिक्रिया देना है। इसमें हवाई हमले की चेतावनी (सायरन), ब्लैक आउट, निकासी, प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराया जाना जैसे अभ्यास शामिल हैं।
1. नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के अंतर्गत 7 मई को शाम 4 बजे से जनपद के 10 स्थानों (1. बड़ा चौराहा, 2. डॉ. एस. के. सिंह चौराहा, लखनपुर, 3. अनुराग हास्पिटल, शारदा नगर चौराहा, 4. संतनगर चौराहा, 5. मलिक गेस्ट हाउट, रामादेवी चौराहा, 6. बासमंडी चौराहा, 7. पाल चौराहा, 8. दबौली मोड, 9. श्री मुनि इंटर कालेज, गोविन्द नगर, 10. यशोदा नगर इंटर कालेज) पर अग्निसुरक्षा ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।
2. उक्त ड्रिल के अंतर्गत 7 मई को शाम 4 बजे से जनपद के तीन स्थानों (1. मालवीय पार्क, कलक्टरगंज, 2. ट्रांसपोर्ट नगर, किदवई नगर, 3. शहीद चन्द्रशेखर आजाद इंटर कालेज, पनकी) पर रेस्क्यू संबंधी ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।
3. उक्त ड्रिल के अंतर्गत 7 मई को ब्लैक आउट हेतु बजाए जाने वाले सायरन की टेस्टिंग शाम 4 बजे की जाएगी ताकि रात 9.30 बजे से 10.00 बजे के मध्य ब्लैक आउट अवधि को सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सके।
4. नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के अंतर्गत 7 मई को रात 9.30 बजे से 10.00 बजे के मध्य हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली के आकलन के लिए ब्लैक आउट किया जाएगा, अर्थात प्रकाश के ऐसे समस्त बिंदुओं को नियत अवधि के लिए प्रयोगात्मक रूप से बंद रखा जाएगा, जिससे ऊंचाई से अथवा आसमान से हवाई हमलों के दौरान आबादी क्षेत्रों व संवेदनशील स्थानों को पहचाना न जा सके।
5. उपरोक्त हेतु 7 मई को रात 9.30 बजे से तीन मिनट की अवधि तक जनपद में नगर निगम द्वारा संचालित पब्लिक एड्रेस सिस्टम, सिविल डिफेन्स द्वारा अनुरक्षित हैंड-हेल्ड सायरन एवं अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों इत्यादि द्वारा अनुरक्षित ‘सायरन व्यवस्था’ का प्रयोग कर रात 9.30 बजे से लेकर 9.33 बजे के मध्य सायरन की तेज आवाज बजाई जाएगी और इसे सुरक्षा मानकों के अनुसार तीन मिनट की अवधि में हाई एवं लो पिच पर बजाया जाएगा।
6. इसी प्रकार से पुन: रात 10.00 बजे ‘ब्लैक आउट’ अवधि की समाप्ति पर तीन मिनट का सायरन बजाया जाएगा, परंतु इस बार सायरन की आवाज ऊंची-नीची नहीं की जाएगी और वह निरंतर एक पिच पर रहते हुए तीन मिनट बाद बंद हो जाएगी, जिससे यह संकेत मिलेगा कि ब्लैक आउट की अवधि अब समाप्त हो गई है और लोग अपने घर के बाहर की लाइट अथवा प्रकाश इत्यादि सामान्य व्यवस्था अनुसार जला सकेंगे।
7. उपरोक्त अवधि में समस्त नागरिकों से अपील की गई है कि वे अपने घर के अंदर के बिजली से संबंधित प्रकाशित हिस्सों के सापेक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि घर के अंदर की लाइट किसी भी दशा में घर के बाहर से न दिखे और इसके लिए वे शीशे आदि के दरवाजों पर पर्दा अथवा काले कागज इत्यादि का प्रयोग कर यह सुनिश्चित करेंगे कि घर का कोई भी प्रकाश दूर से अथवा ऊंचाई से प्रकाश के कारण पहचाना न जा सके। उपरोक्त अवधि में नगर निगम द्वारा अथवा अन्यथा संचालित समस्त सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्थाओं को बंद रखा जाएगा, जिससे आबादी क्षेत्रों का चिन्हांकन हवाई साधनों से न किया जा सके।
8. ब्लैक आउट अवधि में विभिन्न शासकीय भवनों, निजी प्रतिष्ठानों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर लगी बिल बोर्ड, स्कीन, होर्डिंग, साइन बोर्ड, फसाड लाइटिंग इत्यादि को बंद रखेंगे, ताकि आबादी क्षेत्र की कोई पहचान हवाई साधन से न की जा सके। ऐसे प्रतिष्ठानों के स्वामियों, एडवर्टाइजिंग ऐजेसियों के संचालकों तथा नगर निगम का दायित्व होगा कि ऐसे साइन बोर्ड इत्यादि को रात 9.30 बजे से 10.00 बजे के मध्य बिजली आपूर्ति न की जाए।
9. 7 मई को रात 9.30 से 10.00 बजे के मध्य आयोजित किया जाने वाला अभ्यास एक मॉक ड्रिल है एवं इसका उद्देश्य आबादी क्षेत्रों में इस बात की सजगता फैलाना है कि भविष्य में किसी हवाई हमले के युद्ध अथवा अन्य संभावनाओं की दशा में उन्हें किस प्रकार से कार्य व्यवहार करना होगा। इस ड्रिल के आकलन के लिए इस अवधि में नागरिकों एवं अन्य संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले व्यवहार के विषय में नागरिक सुरक्षा के वालेन्टियर्स द्वारा सूचनाएं एकत्रित की जाएंगी और जिसके आधार पर अग्रेतर सुरक्षा व्यवस्थाओं व नीतियों को तैयार किया जाएगा।
10. ब्लैक आउट अवधि में समस्त नागरिकों से यह अपेक्षा है कि यदि किसी निजी वाहन से नगरीय क्षेत्र यात्रा कर रहे हैं तो वे उस अवधि में अपने वाहनों की हेड लाइट बंद कर सड़क के किनारे सुरक्षित स्थान में गाड़ी के अंदर की लाइट बंद करके दोबारा ब्लैक आउट की अवधि समाप्त होने के बाद सायरन बजने की प्रतीक्षा करेंगे। उपरोक्त अवधि में रेल संचालन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग आदि पर चलने वाले यातायात को नहीं रोका जाएगा और इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य बसावट के आबादी क्षेत्र में ब्लैक आउट का अभ्यास करना है, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में नागरिकों को सुरक्षित रखा जा सके।
11. उपरोक्त अवधि में केस्को द्वारा विद्युत की आपूर्ति बंद नहीं की जाएगी, परंतु समस्त नागरिकों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, शासकीय कार्यालयों का नागरिक दायित्व होगा कि वे अपने आवासीय, व्यावसायिक अथवा सार्वजनिक परिसर में लगी हुई कोई भी लाइट, जिसका प्रकाश खुले में जाता हो अथवा दूर से देखा जा सकता हो, उसे उक्त अवधि में बंद रखा जाएगा।
12. इस विषय में दीर्घकालीन उपायों द्वारा समस्त महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों जैसे आयल डिपो, खाद्यान्नों के बड़े गोदाम, विद्युत गृह, बैराज इत्यादि एवं इसी प्रकार के अन्य नागरिक सुविधा के आधारभूत ढांचे को इस प्रकार से ढक दिया किया जाएगा, जिससे उनकी पहचान न हो सके।
13. उपरोक्त अवधि में सशस्त्र सेना बल के अधिकारियों से भी जिला प्रशासन एवं पुलिस कमिश्नरेट अधिकारियों का समन्वय, सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए रहेगा और गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार जनपद के नागरिकों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों इत्यादि की सुरक्षा के लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी।
14. उपरोक्त कार्य के लिए जिला प्रशासन की ओर से डॉ. राजेश कुमार, अपर जिलाधिकारी (नगर), कानपुर नगर (मो0-9454416400) एवं पुलिस विभाग से श्री राजेश कुमार श्रीवास्तव, अपर पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल), कमिश्नरेट, कानपुर नगर (मो0-9454400687) नोडल अधिकारी रहेंगे।
15. उपरोक्त ब्लैक आउट अवधि में निर्देशों के संचालन, प्रशासन एवं अनुश्रवण के लिए 112 पुलिस कंट्रोल एवं नगर निगम स्थित आईसीसीसी सेंटर को कंट्रोल रूम के रूप में प्रयोग किया जाएगा और प्राप्त सूचनाओं को सम्यक प्रकार से प्रसारित किया जाएगा।
इस विषय में सभी नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण कार्य में अपनी असुविधा को नजरंदाज करते हुए पुलिस प्रशासन एवं सशस्त्र बलों को सहयोग प्रदान करेंगे।
ब्लैकआउट के नियम
पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई जिसके बाद पूरे देश में आतंक के खात्मे के लिए उबाल देखा जा रहा है। इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच भारत में युद्ध की संभावना को देखते हुए सात मई को नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल किया जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों को मॉक ड्रिल को लेकर दिए गए निर्देशों में, 54 वर्षों में पहला “क्रैश ब्लैकआउट उपायों के प्रावधान” को भी बताया गया है। युद्ध के दौरान दुश्मन के विमानों द्वारा हवाई हमलों के दौरान ब्लैकआउट लागू किया जाता है। ब्लैकआउट का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमलों को मुश्किल बनाना है।
ब्लैकआउट की आवश्यकता क्यों है
ब्लैकआउट लगाने की आवश्यकता क्यों है तो इसका जवाब है, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सामान्य दृश्यता स्थितियों के तहत ज़मीन से 5,000 फ़ीट की ऊंचाई पर कोई भी रौशनी दिखाई ना दे ताकि दुश्मन के विमान को हमले के लिए नागरिक क्षेत्र दिखाई ना दे। ब्लैकआउट का उद्देश्य “लोगों को रात में दुश्मन के विमानों से खुद को और अपने शहरों को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाना है, बिना पूर्ण अंधेरे की असुविधा के।”
ब्लैकआउट के दौरान क्या करें, क्या नहीं
किसी भी इमारत में कोई रोशनी नहीं होनी चाहिए, अगर हो तो उसे अपारदर्शी सामग्री से ढक देना चाहिए।
किसी चमकदार लाइट इमारत के छत वाले हिस्से के बाहर दिखाई नहीं देनी चाहिए।
इमारत या उसके किसी भी हिस्से के बाहर ऊपर की ओर कोई चमक नहीं होनी चाहिए।
किसी भी इमारत के बाहर सजावट या विज्ञापन के लिए कोई रोशनी नहीं होनी चाहिए।
ब्लैकआउट के दौरान कार में लगने वाली सभी लाइट्स को स्क्रीन किया जाना चाहिए, जिनसे बीम निकलती हैं।
इसके लिए पहला तरीका है कांच के ऊपर सूखा भूरा कागज़ लगाना, जिससे हल्की रोशनी निकलेगी।
दूसरी विधि कांच के पीछे एक कार्डबोर्ड डिस्क डालना है जो पूरे क्षेत्र को कवर करती है।
रिफ्लेक्टर को इस तरह से कवर किया जाना चाहिए कि रिफ्लेक्टर से कोई लाइट ना निकलती हो।
हाथ में किसी तरह की रौशनी हो तो उन्हें भी कागज़ में लपेटा जाना चाहिए।
दुश्मन के विमानों के आने की चेतावनी जारी करने का काम वायु सेना करती है। जैसे ही वायु सेना को दुश्मन के आने वाले विमान का पता चलता है, इसकी सूचना क्षेत्रीय नागरिक सुरक्षा नियंत्रण केंद्रों को भेज दी जाती है, जो इसे शहर के केंद्रों को भेज देते हैं जो ज़मीनी कार्रवाई शुरू करते हैं। जहां तक वायु सेना का सवाल है, यह सूचना को एक बड़े नक्शे पर अंकित करती है और रक्षात्मक जवाबी कार्रवाई की योजना बनाती है। हवाई हमले की चेतावनी आम नागरिकों को बचने का मौका देती है।
‘हवाई हमले का येलो अलर्ट’ यह एक प्रारंभिक और गोपनीय संदेश होता है और यह दुश्मन के विमान की गतिविधि का पूर्वानुमान होता है। इस संदेश के मिलते ही नागरिक सुरक्षा को बिना किसी बाधा के आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए। सार्वजनिक अलार्म को कम करने के लिए इस चेतावनी को गोपनीय रखा जाता है।
‘हवाई हमले का रेड अलर्ट’ यह एक चेतावनी होती है कि दुश्मन के विमान कुछ शहरों की ओर बढ़ रहे हैं और कुछ ही मिनटों में उन पर हमला हो सकता है। यह संदेश नागरिक सुरक्षा प्रतिक्रिया के उन हिस्सों को मिलता है और यह कार्रवाई के लिए आह्वान होता है। इस अलर्ट के बाद सायरन के माध्यम से सार्वजनिक चेतावनी दी जा सकती है।
‘हवाई हमले का ग्रीन अलर्ट’ इसका मतलब है कि हमलावर विमान शहरों को छोड़ चुके हैं या अब उन्हें कोई खतरा नहीं दिख रहा है।
‘हवाई हमले का व्हाइट अलर्ट’ यह तब भेजा जाता है जब ‘हवाई हमले का संदेश-पीला’ में चेतावनी दी गई प्रारंभिक धमकी गुज़र जाती है। इस प्रकार का अलर्ट भी गोपनीय होता है।
20वीं सदी में ब्लैकआउट की प्रथा प्रचलित थी
ब्रिटेन में ब्लैकआउट की शुरुआत:1 सितंबर 1939 को युद्ध की घोषणा से पहले हुई थी। अमेरिका में ब्लैकआउट की शुरुआत पर्ल हार्बर हमले (7 दिसंबर, 1941) के बाद पश्चिमी और पूर्वी तटों पर की गई थी।
युद्ध के पहले ब्लैकआउट की प्रथा मुख्य रूप से 20वीं सदी में द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान प्रचलित काफी प्रचलित थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच पंजाब के फिरोजपुर में ब्लैकआउट का अभ्यास किया गया तो वहीं सात मई को पूरी दिल्ली में 4 बजे मॉक ड्रिल और शाम 7 के बाद ब्लैक आउट का अभ्यास होगा।