नई चुनौतियों के लिए नीरज चोपड़ा को नए कोच की तलाश

0
46

लखनऊ। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा आज लखनऊ में थे। फैन्स ने अपने स्टार को सर आंखों पर बैठा उनका जोरदार तरीके से स्वागत किया। वहीं इस ओलंपिक स्टार ने कहा कि वह अब और बेहतर प्रदर्शन की ओर ध्यान दे रहे हैं।

उनका कहना कि खेल में सुधार के लिए नया नजरिया चाहिए और अब वह नया कोच चाहते हैं। लखनऊ के फीनिक्स पलासियो मॉल में अंडर आर्मर ब्रांड हाउस स्टोर की रीलांचिंग के दौरान पत्रकारों से बातचीत में दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने कहा कि उन्हें नए कोच की तलाश है।

नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता था। वहां पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के थ्रो के साथ उन्हें पीछे छोड़ ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। फिर वो लॉज़ेन डायमंड लीग में, ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स के बाद दूसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने 90.61 मीटर का थ्रो किया।

नीरज चोपड़ा ने दो साल पहले स्टॉकहोम डायमंड लीग में अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89.94 मीटर थ्रो के साथ किया था। वहीं इस साल 89 मीटर रेंज में तीन थ्रो के बावजूद, वे पेरिस ओलंपिक और लॉज़ेन डायमंड लीग में चूक गए थे।

फिलहाल नीरज चोपड़ा की कोच की भूमिका में बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लॉस बार्टोनिट्ज़ है जो 2019 से उनके साथ हैं। बार्टोनिट्ज़ ने साथी जर्मन और भाला फेंक के दिग्गज उवे होन से नीरज चोपड़ा के कोच के रूप में पदभार संभाला और पेरिस 2024 ओलंपिक तक पूर्णकालिक अनुबंध किया।

अब 75 वर्षीय बार्टोनिट्ज़ का सुझाव है कि चोपड़ा आगामी एथलेटिक्स सत्र से पहले एक नया कोच चुनें। एक वेबसाइट के अनुसार, जर्मन विशेषज्ञ ने अपनी उम्र और पारिवारिक प्रतिबद्धताओं का हवाला दिया है।

हालांकि नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन उन्हीं के मार्गदर्शन में निखरा था। उन्होंने इस दौरान टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक, 2022 में डायमंड लीग चैंपियन, 2023 में विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते।

फिर चोपड़ा इस साल दोहा डायमंड लीग, पेरिस 2024 ओलंपिक, लॉज़ेन डायमंड लीग और ब्रुसेल्स डायमंड लीग फ़ाइनल में दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं इस दौरान, चोपड़ा दो बार 90 मीटर से अधिक थ्रो किया फिर भी पीछे रह गए। इस पर चोपड़ा का तर्क है कि मुझे लगता है कि मुझे कुछ बदलाव लाना चाहिए।

एक जर्मन शॉट पुटर था जिसने कहा था ‘अगर आप एक ही काम कर रहे हैं तो अलग नतीजों की उम्मीद न करें।’ अब मेरा विचार है कि अपनी मानसिकता के साथ अपना अभ्यास का तरीका भी बदलें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here