सामानान्तर यूपीसीए : तुरुप का पत्ता हो तभी लड़िये वरना हवा में रस्सी बांधते रहिए

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बेबाक/ संजीव मिश्र

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में पिछले कुछ महीनों से हलचल नजर आ रही है। यूपीसीए के पूर्व सचिव स्व. ज्योति बाजपेई के सबसे वफादार सिपहसालारों में से एक जीडी शर्मा ने सामान्तर यूपीसीए का गठन कर डेढ़ दशक से सुलग रही विरोध की आग को हवा दे दी है। यूपीसीए के ऑफीसियल लोगो पर भी कब्जा करने का दावा कर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मान्यता प्राप्त यूपीसीए से दो-दो हाथ करने का ऐलान कर दिया है। सामानान्तर यूपीसीए ने सीजन 2025-26 के लिए प्रदेश के सभी जिलों से खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की भी तैयारी कर ली है। यानि गंगा से बहुत पानी बह चुका है और अब कदम पीछे खींचना मुमकिन नहीं है।

खिलाड़ियों के लिए शानदार योजनाएं

सामान्तर यूपीसीए का दावा है कि वो मौजूदा गॉडफादर कल्चर को खत्म कर गरीब टैलेंट को निष्पक्षता के साथ प्लेटफॉर्म मुहैय्या करवाएगा। इसके अलावा वो सस्ती फीस में बड़े सपने दिखाने का वादा भी कर रहा है। सामानान्तर यूपीसीए की ओर से प्रदेश के खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों से किए जा रहे वादे किसी चुनाव में किए जाने वाली घोषणाओं से कम आकर्षक नहीं है। मसलन सिर्फ 1500 रुपए का पंजीकरण शुल्क खिलाड़ी को साल भर के लिए मिलने वाली ढेर सुविधाओं की गारंटी होगा। लम्बे समय से क्रिकेट और क्रिकेटरों की खातिर लड़ रहे सामानान्तर यूपीसीए के सचिव जी डी शर्मा ने आगरा में शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस के दौरानकहा कि हम अन्य संस्थाओं की तरह हर टीम के लिए अलग-अलग फीस नहीं लेंगे, बल्कि हमारा शुल्क पूरे साल के प्रशिक्षण, मैच, यूनिफॉर्म और डिजिटल एक्सपोजर को कवर करेगा।

सपने तो खूब दिखा रहे पर पूरे कैसे करेंगे?

सचिव ने बताया कि प्रत्येक जिले की संस्था द्वारा आयोजित मैचों का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण की भी व्यवस्था की जाएगी। गांव के मैदान से लेकर शहर के स्टेडियम तक, हर खिलाड़ी के प्रदर्शन को लाइव देखा जा सकेगा, ताकि टैलेंट के प्रति किसी तरह की निष्पक्षता पर ऊंगली न उठाई जा सके। इसके साथ ही हर जिले में सालाना लीग, वर्कशॉप और प्रदेश स्तरीय टूर्नामेंट करवा जाएंगे।

लेकिन यह सपने पूरे कैसे होंगे?

लेकिन यह सपने पूरे कैसे होंगे? अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि खिलाड़ी जिस स्टेट लेवल टूर्नामेंट में खेलेगा उसे बीसीसीआई मान्यता प्रदान करेगा या नहीं और फिर क्या उस टैलेंट को नेशनल लेवल पर राष्ट्रीय चयनकर्ता विचारेंगे या नहीं, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। हालांकि इस पर सामान्तर यूपीसीए के सचिव का कहना है कि उनका संघ बीसीसीआई से संबद्धता के लिए प्रयास कर रहा है। संबद्धता मिलते ही प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम और आईपीएल जैसे मंचों पर चयन का मौका मिलेगा

मयंक बाजपेई के जुड़ने के बड़े मायने

बता दें कि बीती 10 मई को सामानान्तर यूपीसीए ने यूपीसीए के पूर्व सचिव स्व. ज्योति बाजपेई के पुत्र व यूपीसीए के पूर्व महाप्रबंधक मयंक बाजपेई को प्रधान सलाहकार नियुक्त किया था। मयंक बाजपेई के पद स्वीकार करने को यूपी क्रिकेट के भविष्य में बड़ी उठा पटक का संकेत माना जा रहा है। स्पोर्ट्स लीक सूत्र बताते हैं कि यूपीसीए के कुछ ऐसे पदाधिकारी भी जो लम्बे समय से संघ में उपेक्षा का शिकार रहे हैं, सामान्तर संघ के संपर्क में हैं।

यूपीसीए पर टैलेंट के साथ भेदभाव करने के आरोप

यूपीसीए पर टैलेंट के साथ भेदभाव करने के आरोप लगते रहे हैं। कई अच्छे खिलाड़ी या तो हताश होकर घर बैठ गए या किसी अन्य राज्य से खेलने चले गए। सामानान्तर संघ के सचिव ने कहा कि हमारे संघ में भाई-भतीजावाद नहीं होगा। यूपीसीए की संबद्ध जिला संस्थाएं खिलाड़ियों को समान अवसर देंगी। सब कुछ मान भी लिया जाए तो सवाल उठता है कि बीसीसीआई से जब तक मान्यता नहीं मिल जाती कोई खिलाड़ी सामानान्तर यूपीसीए की ओर से खेल कर रिस्क क्यों उठाएगा?

तालाब में पत्थर फेंक मचा दी है हलचल

सामान्तर संघ ने तालाब में पत्थर फेंक थोड़ी हलचल जरूर मचा दी है लेकिन इस लड़ाई को वे कितनी दूर तक ले जा पाएंगे यह अंदाज लगाना जरा मुश्किल है। इस शंका की वजह भी है। बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त यूपीसीए की रीढ़ की हड्डी बोर्ड के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला हैं, जिनकी वहां तूती बोलती है। दूसरी ओर सामानान्तर यूपीसीए में कोई ऐसा पदाधिकारी नहीं नजर आ रहा है जिसकी बीसीसीआई में अच्छी पैठ हो। हां यदि यह लड़ाई बीसीसीआई का ही कोई बड़ा किरदार नेपथ्य से लड़वा रहा हो तो बात अलग है।

अपने तरकश के तीरों का पैनापन जरूर जांच लें

यदि ऐसा नहीं है तो तो सामानान्तर यूपीसीए को पहले अपने तरकश के तीरों का पैनापन जरूर जांच लेना चाहिए अन्यथा इस लड़ाई में जीत का मुगालता पालना हवा में रस्सी बांधने का प्रयास भी हो सकता है। लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि इस घटनाक्रम ने यूपीसीए पर दबाव बना दिया है और अब चयन साफ सुथरा हो इसके लिए शीर्ष पदाधिकारी कवायद में जुट गए हैं, क्योंकि वे भली भांति जानते हैं कि सामने कितना भी कमजोर विपक्ष क्यों न हो यदि एक दांव गलत पड़ गया तो बाजी उनके हाथ से निकलते देर नहीं लगेगी, क्योंकि सामने वाले का इतिहास जुझारू पदाधिकारी का है।

 

 

 

 

 

 

 

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