बेबाक/संजीव मिश्र
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) और उनकी सरकार के दावों की मदरसा विस्फोट ने हवा निकाल दी। चैम्पियंस ट्रॉफी के अभी लीग मुकाबले ही चल रहे हैं और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के अकोरा खट्टक स्थित दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे में शुक्रवार की नमाज के दौरान एक शक्तिशाली आत्मघाती बम विस्फोट हो गया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा घायल हो गए। इस आतंकवादी घटना ने यहां खेलने वाली सभी टीमों और कवरेज के लिए पहुंचे दुनिया भर के मीडिया को हिलाकर रख दिया। भारत चैम्पियंस ट्रॉफी में खेलने इन्हीं हालातों की वजह से नहीं गया था, तब इस आईसीसी टूर्नामेंट के मेजबान पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने खूब हो हल्ला मचाया था और आईसीसी को हाइब्रिड मॉडल से भारत के मुकाबले दुबई में करवाने का फैसला लिया था।
हाइब्रिड मॉडल से खेलना ही ठीक
चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पीसीबी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच एक समझौते के बाद यह तय हुआ था कि भारत के मैचों की मेजबानी पाकिस्तान तटस्थ देश दुबई में करेगा। इसके अतिरिक्त 2026 टी-20 विश्व कप पर भी यह निर्णय लिया गया है कि पाकिस्तान लीग चरण के मुकाबलों के लिए भारत की यात्रा नहीं करेगा। वो भारत की जगह कोलंबो (श्रीलंका) में खेलेगा। शुक्रवार को पाकिस्तान में हुए आत्मघाती विस्फोट ने भारत की अपनी टीम के लिए सुरक्षा चिंता को सही साबित कर दिया है। यह भी साफ हो गया कि हाइब्रिड मॉडल से ही दोनों देशों का खेलना उचित है।
भारत पर तंज कस रहे थे कुछ देश
भारत के ग्रुप ए के अपने दोनों में मैच जीत लेने के बाद आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों को उसके एक ही मैदान में खेलने पर ऐतराज हो रहा है। उनका कहना है कि भारत को एक ही होटल में रुकने और एक ही मैदान पर अपने सारे मुकाबले खेलने का लाभ मिल रहा है। हालांकि भारत ने यह शर्त कभी नहीं रखी थी कि वह किसी एक ही न्यूट्रल वैन्यू अर्थात एक ही मैदान में अपने सारे मैच खेलना चाहता है। यह भी नहीं कहा था कि पीसीबी और आईसीसी उसे शरजाह या अबू धाबी में मैच खेलने भेजेगा तो उसे ऐतराज होगा।
पाकिस्तान में खेलना सुरक्षित नहीं
भारत के एक ही मैदान पर खेलने का विरोध करने वाले देशों को अब अहसास हो रहा होगा कि दहशत के माहौल में पाकिस्तान में क्रिकेट खेलना किसी भी टीम के लिए सुरक्षित नहीं है। बताया जा रहा है कि यह बम विस्फोट उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में रमज़ान से पहले तालिबान समर्थक एक मदरसा मस्जिद में हुआ। यह मदरसा अफगान तालिबान के साथ संबंधों के लिए जाना जाता है। यह विस्फोट मुस्लिमों के पवित्र महीने रमज़ान से पहले हुआ है, जो चंद्रमा दिखने पर शनिवार या रविवार को शुरू होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि लाहौर में शुक्रवार को अफगानिस्तान और आस्ट्रेलिया के बीच चैम्पियंस ट्रॉफी में ग्रुप बी का मुकाबला भी था।
पाकिस्तान के दावों की खुल गई पोल
अब जरा पाकिस्तान और भारत के बीच चैम्पियंस ट्रॉफी के ठीक पूर्व हुए विवाद की ओर चलते हैं, जिसमें पीसीबी ने दावा किया था कि सभी टीमों को अच्छे और सुरक्षित माहौल में खेलने के लिए सरकार ने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं, इसलिए भारत को अपनी टीम पाकिस्तान भेजने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस आत्मघाती हमले ने उनके दावों की पोल खोल दी है। भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान के अंदरूनी हालात का हवाला देते हुए बीसीसीआई को टीम इंडिया के सरहद पार दौरे को मंजूरी नहीं दी गई। भारत के आईसीसी को सुरक्षा कारणों से अपनी टीम पाकिस्तान न भेजे जाने की जानकारी देने के बाद जब बीच का कोई रास्ता नहीं निकला तो भारत के मुकाबले दुबई में करवाने के लिए पाकिस्तान को सहमत होना पड़ा था।
3 मार्च 2009 को श्रीलंकाई खिलाड़ी हुए थे शिकार
याद कीजिए 3 मार्च 2009 का वो दिन जब पाकिस्तान का दौरा कर रही श्रीलंकाई टीम की बस पर लाहौर के कर्नल गद्दाफी स्टेडियम के पास 12 बंदूकधारियों के हमलों को। तब कप्तान महेला जयवर्द्धने और कुमार संगकारा समेत श्रीलंका के 7 खिलाड़ी घायल हो गए थे। थिलन समरवीरा के जांघ पर गोली लगी था, जबकि छह पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी, दो नागरिकों और एक वैन चालक की मौत हो गई थी। तब श्रीलंकाई टीम को दौरा बीच में ही छोड़कर अपने देश लौटना पड़ा था।
पाकिस्तान से विश्व कप की मेजबानी छिन गई थी
श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए आतंकवादी हमले ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी करने की पाकिस्तान की क्षमता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। इस घटना के कारण पाकिस्तान में टेस्ट मैचों को एक दशक के लिए निलंबित कर दिया गया था और पाकिस्तान को 2011 क्रिकेट विश्व कप के सह-मेजबानी के अधिकार से भी हाथ धोना पड़ा था। इसने द्विपक्षीय क्रिकेट संबंधों में शामिल होने के प्रति भारत की अनिच्छा को गहरा कर दिया था, जिससे संबंधों में और तनाव आ गया।