(संजीव मिश्र)
खबर आ रही है कि रोहित शर्मा ने संभवत: टीम मैनेजमेंट को बता दिया है कि वह सिडनी में भारत-आस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अन्तर्गत चल रही सीरीज का पांचवां व अंतिम टेस्ट नहीं खेल रहे हैं। मेलबर्न टेस्ट की दोनों पारियों में खराब शॉट खेलकर आउट होने वाले रिषभ पंत के लिए भी प्लेइंग इलेवन में जगह शायद ही सुरक्षित हो, क्योंकि ध्रुव जुरेल ने मैच से एक दिन पहले नेट्स पर काफी समय बिताया है। यानि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में एक तूफान आया हुआ है। अगले कुछ घंटे बड़ी खबरें लेकर आ सकते हैं। आस्ट्रेलिया पहुंचने तक टीम इंडिया के हालात बहुत खराब थे। न्यूजीलैंड से घर पर ही बुरी तरह हारने के बाद हर कोई आस्ट्रेलिया में कई सीनियर्स के लिए शटर गिरने की भविष्यवाणी कर रहा था।
बुमराह ने जितवाया, रोहित के आते ही टीम के गृह नक्षत्र बदले
रोहित अपने बच्चे के जन्म की वजह से पहले टेस्ट में टीम के साथ नहीं जुड़ पाए और जसप्रीत बुमराह ने टीम की कमान संभाली। बुमराह और यशस्वी यादव के असाधारण प्रदर्शन से पर्थ टेस्ट टीम इंडिया जीत गई तो हवा का रुख पलटता दिखा। इस मैच में विराट कोहली के बल्ले से भी अरसे बाद शतकीय पारी निकली। लेकिन वह तब आई जब दूसरी पारी में यशस्वी जयसवाल और केएल राहुल के बीच पहले विकेट के लिए दोहरी शतकीय साझेदारी का आधार बन चुका था और टीम इंडिया काफी मजूबत स्थिति में थी। इसके बाद अगले एडिलेड टेस्ट से रोहित शर्मा बतौर कप्तान टीम से जुड़ते हैं और टीम इंडिया का भाग्य फिर पलटी खाता है। इसके बाद अगले तीन टेस्ट मैचों में से दो टेस्ट भारतीय टीम हार जाती है और बदल जाता है ड्रेसिंग रूम का माहौल। अब चलिए जरा पीछे चलते हैं। उन दिनों में जब हेड कोच के लिए गौतम गंभीर से बीसीसीआई सम्पर्क कर रहा था।
गौतम गंभीर नहीं छोड़ना चाहते थे केकेआर
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से भले ही यह बातें निकल कर आ रही हों कि हेड कोच के लिए गौतम गंभीर उनकी पहली पसंद नहीं थे लेकिन यह सच नहीं है। सच यह है कि एक समय टीम इंडिया के हेड कोच का पद स्वीकार करवाने के लिए बीसीसीआई गौतम गंभीर की मान मन्नौव्वल में जुटा हुआ था, क्योंकि गंभीर भाजपा हाईकमान से लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद अपनी पुरानी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स को आईपीएल चैम्पियन बनवाने के बाद नए माहौल से काफी खुश थे और टीम इंडिया के हेड कोच के कांटों भरे ताज को पहनने के लिए कतई तैयार नहीं थे। खासकर यह देखते हुए कि कुछ विदेशी कोच भी इस ऑफर को ठुकरा चुके थे।
कप्तान समेत कुछ खिलाड़ी सिडनी टेस्ट से हो सकते बाहर
उसी दौरान एक चर्चा और हवा में थी कि गंभीर का भाजपा छोड़कर क्रिकेट में लौटना बीसीसीआई की योजना का ही एक हिस्सा था, क्योंकि कुछ बड़े नाम वाले खिलाड़ी टीम इंडिया पर बोझ बने हुए थे। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह तब बीसीसीआई के सचिव थे। जय शाह इन्हें हटाते तो इन खिलाड़ियों के फैन्स आहत होते और इसका असर वोट बैंक पर पड़ सकता था। ऐसे में गंभीर से ऑपरेशन करवाने की प्लानिंग की गई, क्योंकि गंभीर स्पष्टवादी तो थे ही, विराट कोहली से उनकी बनती भी नहीं थी, इसलिए काम आसान था। ऑपरेशन तो होना ही था लेकिन उचित समय का इंतजार करना था। वो समय भी आ ही गया। जब जय शाह आईसीसी पहुंच गए, तब ही सर्जरी शुरू हुई। पहले बिना दर्द के सर्जरी हुई और रवि चन्द्रन अश्विन को जाना पड़ा। अब रोहित शर्मा व विराट कोहली जैसे दूसरे सीनियरों की बारी है।
क्रिकेट में अपने रसूख के दम पर खेल रहे हैं कुछ खिलाड़ी
बीसीसीआई टीम इंडिया के इन दिग्गजों से छुटकारा पाने के लिए ही गंभीर को लाना चाह रहा था, जो फॉर्म से दूर होते हुए भी क्रिकेट में अपने रसूख के दम पर खेल रहे हैं। यही वजह थी कि गंभीर को टीम इंडिया से जोड़ने के लिए बीसीसीआई ने उनकी पसंद का सपोर्टिंग स्टाफ भी दिया, जबकि अमूमन ऐसा नियम नहीं है। गंभीर अंतत: टीम इंडिया का हेड कोच बनने के लिए तैयार हो गए। लेकिन शुरुआत में कोई सख्ती नहीं दिखाई और टीम को साथ लेकर चले। हालांकि उनके आने से टीम के सीनियरों के अंदर भय जरूर व्याप्त हो गया था। लेकिन सब कुछ कोच की पसंद का दिए जाने के बावजूद अपेक्षित रिजल्ट नहीं मिल पा रहा, इससे साफ था कि रोग उन्हीं को है, जिनके इलाज के लिए गंभीर को बुलाया गया है।
अब तक कोच ने ज्यादा सख्ती नहीं बरती थी
गंभीर के ज्वाइद करने से कुछ चीजें बदली भीं, मसलन विराट कोहली के लिए जब चाहे खेले और जब चाहा सीरीज छोड़ छुट्टी पर निकल जाने का कम्फर्ट खत्म हो गया। टीम इंडिया के वे खिलाड़ी भी जो टीम से बाहर कर दिए जाते, उनके लिए घरेलू क्रिकेट में खेलना अनिवार्य कर दिया गया। घरेलू क्रिकेट में खेले बिना उनकी टीम इंडिया में वापसी ही नहीं होती। जिसने अकड़ दिखाई वे किनारे लगा दिए जाते। ईशान किशन और श्रेयस अय्यर जैसे स्थापित खिलाड़ी इसके उदाहरण भी बने। टीम इंडिया के हेड कोच ने ज्यादा सख्ती तो नहीं दिखाई लेकिन खिलाड़ियों को जरूरत से ज्यादा स्वतंत्रता भी नहीं लेने दी।
साढ़े पांच महीने में ही गंभीर के लिए स्थितियां बदल गईं
बतौर हेड कोच गंभीर की शुरुआत थोड़े उतार-चढ़ाव वाली रही। बीसीसीआई ने भी कोच को पूरा सपोर्ट किया। लेकिन लगभग साढ़े पांच महीने बीतने के बाद गौतम गंभीर के लिए स्थितियां उतनी सहज नहीं रहीं, जितनी बांग्लादेश से सीरीज खत्म होने के समय थीं। इसकी वजह बने वे सीनियर खिलाड़ी जो फॉर्म खराब होने के बावजूद टीम में बरकरार थे। लेकिन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट की हार ने जब खुद कोच के लिए चुनौती खड़ी कर दी तब गौतम गंभीर ने पहली बार आंखें तरेरीं और ड्रेसिंग रूम में सीनियर हो या जूनियर सभी की क्लास लगाई। खराब प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों की हेड कोच के साथ खटपट की खबरें भी आ रही थीं।
बुमराह अंतिम टेस्ट में उतर सकते हैं टॉस के लिए
ड्रेसिंग रूम की फटकार लीक होने के बाद मैच से एक दिन पूर्व पीसी में कप्तान रोहित शर्मा की जगह जब गंभीर खुद मीडिया के सवालों के जवाब देने पहुंचे तो स्पष्ट हो गया कि कुछ बड़ा होने जा रहा है। पत्रकारों ने हेड कोच से जब रोहित के प्लेइंग इलेवन में खेलने पर सवाल किया तो कोई सीधा जवाब न मिलने से यह चर्चा शुरू हो गई कि सिडनी टेस्ट के लिए कप्तान बदलने जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं कि रोहित मेलबर्न में अपना अंतिम टेस्ट खेल चुके हैं। लेकिन यदि सिडनी में भी टॉस के लिए रोहित ही उतरते हैं तो उनका यह फेयरवेल मैच हो सकता है, क्योंकि इसके बाद टीम इंडिया को जून में ही इंग्लैंड के खिलाफ अगली टेस्ट सीरीज खेलनी है और तब तक इंडियन क्रिकेट में बहुत कुछ बदल चुका होगा।
गौतम गंभीर का बीसीसीआई के साथ हनीमून पीरियड खत्म
हेड कोच जानते हैं कि उन्हें किस काम के लिए लाया गया है और मन मुताबिक काम नहीं मिला तो उनके अच्छे दिन कभी भी खत्म हो सकते हैं। मौजूदा प्रदर्शन के बाद गंभीर के लिए बीसीसीआई के साथ हनीमून पीरियड अब खत्म हो चुका है। यह भी सच है कि उनका बतौर हेड कोच टीम इंडिया के साथ संक्षिप्त कार्यकाल अब तक संतोषजनक नहीं रहा है। टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को चैम्पियन बनवाने के बाद जब राहुल द्रविड़ ने हेड कोच का पद छोड़ा तब गौतम गंभीर को उनकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जुलाई 2024 में गंभीर की पहली परीक्षा श्रीलंका दौरे पर टी-20 सीरीज से हुई थी, जिसमें 3-0 से क्लीन स्वीप कर वे अव्वल नम्बर से पास हो गए। लेकिन श्रीलंका से वन डे सीरीज में उन्हें 0-2 की हार का सामना करना पड़ा। बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट और फिर टी-20 सीरीज में 2-0 से क्लीन स्वीप तक सब कुछ ठीक था लेकिन जल्दी ही स्थितियां बदलने लगीं।
कीवी टीम के झाड़ू फिराते ही गंभीर निशाने पर आ गए
न्यूजीलैंड टीम के भारत आने से पहले उसके खिलाफ एकतरफा जीत हासिल करने के दावे किए जा रहे थे लेकिन हुआ उसका ठीक उलट। कीवी टीम जब भारत पर ही 3-0 से झाड़ू फिराकर चली गई तो भूचाल सा आ गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया के खराब प्रदर्शन से गौतम गंभीर पहली बार निशाने पर आ गए और उनकी आलोचना शुरू हो गई, क्योंकि 12 साल में भारत पहली बार अपने घर पर कोई टेस्ट सीरीज हारा था। बीसीसीआई भी गुस्से से फट पड़ा। पांच सीनियर खिलाड़ियों के लिए आस्ट्रेलिया दौरा अंतिम होने की भविष्यवाणी तक कर दी गई। एक सीनियर रवि चन्द्रन अश्विन ने तो इसी दबाव के चलते तीसरे टेस्ट के अंतिम दिन संन्यास भी ले लिया।
अंतिम टेस्ट में दिख सकते हैं प्लेइंग इलेवन में बदलाव
पहले न्यूजीलैंड से अपने ही घर पर शर्मनाक हार और अब आस्ट्रेलिया में खराब प्रदर्शन से हेड कोच के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया। आस्ट्रेलिया में पहले ही टेस्ट मैच में जीत के साथ बढ़त लेने के बावजूद टीम इंडिया मेजबान टीम पर दबाव नहीं बना सकी और अब चार टेस्ट मैचों की समाप्ति के बाद वह 1-2 से पिछड़ रही है। सिडनी का अंतिम टेस्ट ही बचा है और यदि इसे भी टीम इंडिया नहीं जीत पाई तो ट्रॉफी भी हाथ से निकल जाएगी। इसके साथ ही गौतम गंभीर के लिए मुश्किलें भी काफी बढ़ जाएंगी। तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। शुभमन गिल, ध्रुव जुरेल और अभी तक इस सीरीज में अपनी बारी का इंतजार कर रहे अभिमन्यु ईश्वरन, सरफराज खान, प्रसिद्ध कृष्णा और तनुष कोटियन में से दो तीन खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में देखें तो चौंकिएगा नहीं, क्योंकि इस मैच को जीतने के लिए सब कुछ झोंका जा सकता है।
गंभीर के आते ही विराट और रोहित का फॉर्म गायब!
जब हेड कोच के लिए गंभीर के नाम की चर्चा शुरू हुई थी तब यह आशंका जताई जा रही थी कि सीनियर खिलाड़ियों के साथ ट्यूनिंग ठीक रखने में उन्हें दिक्कत आ सकती है। खासकर यह देखते हुए कि उनके और विराट कोहली के बीच खेल के दिनों से ही 36 का आंकड़ा रहा है। पिछले कुछ सालों में टीम के दो सबसे सीनियर खिलाड़ी कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली का प्रदर्शन बाकी टीम का मार्गदर्शन करता रहा है लेकिन जब से गंभीर ने हेड कोच का पद संभाला है दोनों खिलाड़ियों का फॉर्म अचानक रूठ गया है। अब यह इत्तेफाक हो या कुछ और लेकिन इसका असर बाकी टीम के प्रदर्शन पर पड़ा है। बांग्लादेश सीरीज तक टीम इंडिया का वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचना आसान नजर आ रहा था लेकिन अब उसकी संभावनाएं न के बराबर हैं। टीम इंडिया के अंतिम टेस्ट जीतने पर भी डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचना दूसरी टीमों के रिजल्ट पर निर्भर करेगा। यह देखकर हैरानी भी है कि यह उस टीम का हाल है जो आस्ट्रेलिया में पहले टेस्ट के बाद तक डब्ल्यूटीसी की प्वाइंट टेबल में पहले नम्बर पर थी।
क्या सीनियर खिलाड़ियों की विदाई का समय आ गया
ऑन फील्ड अभी तक वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ गंभीर की ट्यूनिंग से कभी ऐसे संकेत नहीं मिले थे कि कहीं कुछ गड़बड़ है। लेकिन 12 साल बाद अपने घर पर कोई टेस्ट सीरीज हारना, उसके बाद आस्ट्रेलिया में सात में से सिर्फ एक टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन कर पाना और अब ड्रेसिंग रूम की बातें बाहर आना यह कतई नहीं दर्शा रहा कि टीम इंडिया के अंदर सब कुछ ठीक चल रहा है। इस प्रदर्शन से सबसे ज्यादा तीन लोग प्रभावित हो रहे हैं। कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और हेड कोच गौतम गंभीर। ऐसे में लगने लगा है कि सीनियर खिलाड़ियों की विदाई का समय आ गया है। अब बस यह देखना है कि किस दिन इसकी घोषणा होती है।
हो सकता है सोशल मीडिया के जरिए कोई घोषणा हो
लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद अभी तक न तो कप्तान रोहित शर्मा और न ही विराट कोहली ने अपने क्रिकेट भविष्य को लेकर कोई इशारा किया है, जबकि अगली टेस्ट सीरीज भारत को जून से पहले खेलनी ही नहीं है। हालांकि कोहली ने इस सीरीज में एक शतक जड़ा है, इसलिए उनके संन्यास की ज्यादा संभावना नहीं है। ऐसे में हो सकता है कि पांचवें व अंतिम टेस्ट के दौरान या पहले ही दिन रोहित शर्मा सोशल मीडिया के जरिए या इस टेस्ट के दौरान किसी दिन खेल के बाद पीसी में अपने संन्यास की घोषणा कर दें। यदि ऐसा होता है तो यह सीरीज रवि चन्द्रन अश्विन और रोहित शर्मा के संन्यास लेने के लिए भी याद की जाएगी। भले ही भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों में पहुंचाने वाले खिलाड़ियों का इस तरह विदा होना किसी को अच्छा न लगे।