पहले घर में न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से टेस्ट सीरीज में शर्मनाक हार और फिर आस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में पहला टेस्ट जीतने के बावजूद 1-3 से मिली शिकस्त ने कुछ महीने पहले बने टीम इंडिया के हेड कोच का भविष्य दांव पर लगा दिया है। गंभीर ने कोच पद संभालते ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों से कहा था कि यदि वे उपलब्ध हैं तो घरेलू क्रिकेट उन्हें खेलना होगा। इसमें उन्होंने जसप्रीत बुमराह, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों पर इसके लिए दबाव नहीं बनाया था।
लगातार दो सीरीज में खराब प्रदर्शन के बाद स्थितियां बदल गई हैं। अब सुपर स्टार कल्चर को खत्म करने के लिए सीनियर खिलाड़ियों से भी अपनी फॉर्म तलाशने के लिए रणजी मैच खेलने को कह दिया गया है। कोच गंभीर का कहना है कि आप देश के लिए खेल रहे हैं, इसलिए आपको अपना सौ प्रतिशत योगदान करना होगा। दरअसल गंभीर को लग रहा है कि टीम के खराब प्रदर्शन में कहीं न कहीं कुछ खिलाड़ियों का सुपर स्टार कल्चर आड़े आ रहा है। इसी को देखते हुए बीसीसीआई ने 45 दिनों से ज्यादा के टूर में सिर्फ दो सप्ताह के लिए परिवार को साथ रखने की इजाजत दी है। इसके अलावा सभी खिलाड़ियों को टीम बस से ही सफर करने का नियम भी बनाया जा रहा है। महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी कहा था कि टीम एक साथ न पहुंचकर टुकड़ों में पहुंचती है, इससे आप विपक्षी टीम पर अपनी एकजुटता का अहसास भी नहीं करवा पाते हैं।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज हारने से हुई किरकिरी और अपने प्रमुख सीनियर बल्लेबाजों का योगदान इस सीरीज में नाम मात्र का होने के बाद बीसीसीआई ने चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर, कोच गौतम गंभीर और कप्तान रोहित शर्मा के साथ टीम इंडिया के प्रदर्शन पर समीक्षा बैठक की। जिसमें यह महसूस किया गया सभी सीनियर खिलाड़ियों को भी घरेलू क्रिकेट में खेलना चाहिए। खासकर रोहित शर्मा, विराट कोहली और ऋषभ पंत जैसे सीनियरों की तरफ बोर्ड का इशारा था। यह सुझाव इस बार भी संभवत: हेड कोच गौतम गंभीर की तरफ से शुरू से बनाया गया था। वह टीम में सुपर स्टार कल्चर खत्म करना चाह रहे हैं।
गौरतलब है कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने आखिरी बार रणजी ट्रॉफी मुकाबला यूपी के खिलाफ 2012 में खेला था, जबकि रिषभ पंत 2017-18 ने अपना अंतिम रणजी खेला झा। अपनी फॉर्म को लेकर काफी परेशान चल रहे रोहित शर्मा तो मुंबई टीम के साथ प्रैक्टिस करते भी नजर आए। हालांकि इसका इंतजार है कि क्या वह 23 जनवरी से शुरू होने वाले रणजी ट्रॉफी मैचों के दूसरे चरण में खेलेंगे या नहीं। शुभमन गिल और हर्षित राणा भी अपने-अपने राज्य की टीमों से रणजी खेलते नजर आ सकते हैं। यदि रणजी में सीनियर खिलाड़ियों की इंटरनेशनल इंगेजमेंट न होने पर खेलने की अनिवायता कर दी जाती है तो इस घरेलू टूर्नामेंट का स्तर भी बढ़ जाएगा और जूनियर टैलेंट भी बड़े खिलाड़ियों की मौजूदगी में तेजी से उभरेगा।