- इस आदेश का बकायदा गांव के गुरुद्वारों से अनाउंसमेंट करवाए जाने की भी चर्चा हो रही
- सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान का पानी रोके जाने के बाद हर गुजरता घंटा अहम
सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान का पानी रोके जाने के बाद हर गुजरता घंटा अहम है। कभी भी कोई बड़ा एक्शन हो सकता है। इस बीच अपुष्ट सूत्रों से खबर आ रही है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पाकिस्तान बॉर्डर के पास वाले गांवों के किसानों से कह दिया है कि दो तीन दिनों के अंदर वे अपनी फसलों को काट पराली भी उठा लें। संकेत साफ हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है।
इस आदेश का बकायदा गांव के गुरुद्वारों से अनाउंसमेंट करवाए जाने की भी चर्चा है। गांव वालों को आदेश दिया गया है कि 2-3 दिन के बाद ये गेट बंद हो जाएंगे और फिर आप अपनी फसल को नहीं उठा सकेंगे। गांव वालों का कहना है कि उन्हें बीएसएफ के अधिकारियों की तरफ से ये आदेश दिया गया है और उन्होंने इसके लिए काम करना भी शुरू कर दिया है।
बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद से दोनों देशों की सीमा पर तनाव बना हुआ है। इस हमले के बाद से भारत सरकार और सुरक्षाबल दोनों ही एक्शन मोड में हैं। वहीं भारत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है, जिसके बाद वाघा अटारी बॉर्डर व अन्य सीमाओं को बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा सीमा पर तनाव फैला हुआ है।
बता दें कि पाकिस्तान की सेना द्वारा पाकिस्तान के सैनिकों को सीमा पर बंकर में ही रहने का आदेश दिया गया है। वहीं भारतीय सेना द्वारा भी लगातार कुछ-कुछ तैयारियां की जा रही है। पहलगाम हमले के जवाब में भारत सरकार क्या करने वाली है अभी इसका किसी को अंदाजा नहीं है।
पहलगाम हमले के बाद उपजे तनाव के बीच पिछले दिनों पाकिस्तान सरकार ने एक बैठक की थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया है। वहीं पाकिस्तान में भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान छोड़कर भारत लौटने का भी पाकिस्तान सरकार ने आदेश जारी कर दिया है।
बता दें कि बीते दिनों पहलगाम में आतंकवादियों ने गोलीबारी की थी, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच भारी तनाव है और भारत की जनता में लगातार पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने की मांग की जा रही है।
इस आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। हालांकि पाकिस्तान ने भारत के आरोपों का खंडन किया है और जवाबी कार्रवाई की धमकी भी दी है। इसके साथ ही ये भी कहा है कि पाकिस्तान किसी भी तटस्थ, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में भाग लेने के लिए तैयार है।
भारत और पाकिस्तान दोनों देश सिंचाई और कृषि के लिए सिंधु बेसिन की छह नदियों के पानी पर निर्भर हैं, इसीलिए उन्होंने सीमा पार इन नदियों के पानी के प्रवाह को जारी रखने के लिए स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट नामक एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जब 1948 में स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट की अवधि समाप्त हो गई, तो विश्व बैंक की मध्यस्थता में नौ साल की बातचीत के बाद, पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान और पूर्व भारतीय पीएम जवाहरलाल नेहरू ने सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए।
सिंधु जल संधि के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पानी बांटा गया और बदले में पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का 80 फीसदी हिस्सा आवंटित किया गया है। पाकिस्तान की 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कृषि और लगभग एक तिहाई हाइड्रोपावर सिंधु बेसिन के पानी पर ही निर्भर है। ऐसे में इस सिंधु जल संधि के निलंबित होने से पाकिस्तान में त्राहिमाम मच सकता है।