रतन टाटा का जन्म से लेकर दुनिया को अलविदा कहने तक के सफर की ये अहम बातें

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रतन टाटा का जन्म से लेकर दुनिया को अलविदा कहने तक के सफर की ये अहम बातें शायद ही जानते होंगे आप
2000 के बाद टाटा समूह के विकास और वैश्वीकरण अभियान ने उनके नेतृत्व में गति पकड़ी और नई सेंचुरी में कई हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण हुए, जिनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू शामिल हैं।

मशहूर उद्योगति और टाटा संस के अध्यक्ष के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने देश और दुनिया में एक अलग पहचान बनाई। देश के गौरव के तौर पर पहचाने जाने वाले रतन टाटा ने यूं कहिए कि भारतीयों के जीवन को आसान बनाने और बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। रतन नवल टाटा (उनका पूरा नाम) की उपलब्धियों की अनगिनत कहानियां हैं। अनगिनत उपलब्धियां हैं। आप भी रतन टाटा को उनके जन्म से लेकर दुनिया को अलविदा कहने तक संक्षेप में जानना समझना चाहते हैं तो आइए, यहां हम उनसे जुड़ी ये अहम बातें जान लेते हैं।

1937: रतन टाटा का जन्म सूनू और नवल टाटा के घर हुआ।
1955: 17 साल की उम्र में कॉर्नेल विश्वविद्यालय (इथाका, न्यूयॉर्क, यूएसए) के लिए गए; सात वर्ष की अवधि में वास्तुकला और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
1962: वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की।
1962: टाटा इंडस्ट्रीज में सहायक के रूप में टाटा समूह में शामिल हुए; बाद में टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की ट्रेनिंग ली।
1963: ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी, या टिस्को (जिसे अब टाटा स्टील कहा जाता है) में चले गए।
1965: टिस्को के इंजीनियरिंग सेक्शन में टेक्निकल ऑफिसर नियुक्त हुए।
1969: ऑस्ट्रेलिया में टाटा समूह के निवासी प्रतिनिधि के रूप में काम किया।
1970: भारत लौटे, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में शामिल हुए, जो उस समय एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी।
1971: नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (जिसे नेल्को के नाम से जाना जाता है) के प्रभारी निदेशक नियुक्त किए गए, जो एक बीमार इलेक्ट्रॉनिक्स उद्यम था।
1974: टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में शामिल हुए।
1975: हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
1981: टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नियुक्त किए गए; इसे उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों के प्रमोटर में बदलने की प्रक्रिया शुरू की।
1983: टाटा रणनीतिक योजना का मसौदा तैयार किया।
1986-1989: राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
25 मार्च, 1991: जेआरडी टाटा से टाटा संस के अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष का पदभार संभाला।
1991: टाटा समूह का पुनर्गठन ऐसे समय में शुरू किया गया जब भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण चल रहा था।
2000 के बाद टाटा समूह के विकास और वैश्वीकरण अभियान ने उनके नेतृत्व में गति पकड़ी और नई सेंचुरी में कई हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण हुए, जिनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू शामिल हैं।
2008: टाटा नैनो को लॉन्च किया, जो उस अग्रणी छोटी कार परियोजना से पैदा हुई थी जिसका उन्होंने जोश और दृढ़ संकल्प के साथ मार्गदर्शन और कमान संभाली थी।
2008: भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
दिसंबर 2012: टाटा समूह के साथ 50 साल बिताने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटे; टाटा संस के मानद अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
अक्टूबर 2024: टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
(एनडीटीवी से साभार)

 

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