सैयद आबिद अली, एक ऐसा ऑलराउंडर जिसके साथ उसकी प्रतिभा को देखते हुए कभी न्याय नहीं हुआ। शायद इसकी वजह उस दौर में कम टेस्ट खेला जाना और भारतीय क्रिकेट में कई दिग्गजों का टीम में जमे होने रहा हो। आस्ट्रेलिया के एडिलेड में अपने डेब्यू मैच में छह विकेट और उसी सीरीज के सिडनी टेस्ट की दोनों पारियों में 70 से ज्यादा के स्कोर बना उन्होंने कॅरिअर का शानदार आगाज किया था। आजकल जैसे केएल राहुल को किसी भी क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेज दिया जाता है 70 के दशक की शुरुआत में ऐसा ही सैयद आबिद अली के साथ भी था। उन्हें एक ऑलराउंडर की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि सिडनी में उन्होंने दो अर्धशतक बतौर ओपनर लगाए थे। उन्होंने चौथे, 10वें और 11वें नंबर को छोड़कर भारत के लिए हर क्रम पर बल्लेबाज़ी की। हालांकि अपनी 53 टेस्ट पारियों में से 20 पारियों में उन्होंने नंबर आठ पर बल्लेबाज़ी की।
आबिद अली का कॅरिअर संक्षिप्त क्यों रहा, उसके कारण हो सकते हैं लेकिन आज उन्हें और भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को बस याद ही किया जा सकता है। बता दें कि इस शानदार ऑलराउंडर का 83 वर्ष की आयु में बुधवार 12 मार्च को कैलिफोर्निया में निधन हो गया है। भारत ने जब अपने पहले पांच वन डे मैच खेले उन सभी में आबिद अली भी खेले थे। यह दीगर है कि 1974 और 1975 के बीच खेले गए वे पांच वनडे ही उनके कॅरिअर का अंतिम दौर भी साबित हुए। अजित वाडेकर की कप्तानी में 1971 में खेले उन पूर्व खिलाड़ियों के जेहन में वो याद आज भी ताजा हो जिन्होंने भारत को इंग्लैंड पर पहली टेस्ट सीरीज जिताने वाला रन ओवल के मैदान में सैयद आबिद अली के बल्ले से निकलते देखा हो। आबिद अली का वो स्क्वायर कट जो बाउंड्री के बाहर इसलिए नहीं पहुंच पाया था क्योंकि उनके शॉट लगाते ही भारतीय खेल प्रेमियों का झुंड मैदान में घुस आया था। उस मैच में आबिद अली आठवें नम्बर पर बल्लेबाजी करने वाले इस बल्लेबाज के
सैयद आबिद अली ने भारत के लिए दिसंबर 1967 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और पहली पारी में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 55 रन देकर छह विकेट चटकाए। इसी सीरीज में उन्होंने बल्लेबाजी में भी अपनी क्षमता दिखाते हुए सिडनी टेस्ट में 78 और 81 रन की पारियां खेली। उनके खाते में छह टेस्ट अर्धशतक भी हैं। आबिद अली ने 1967 और 1974 के बीच भारत के लिए 29 टेस्ट खेले जिसमें उन्होंने 1018 रन बनाए और 47 विकेट लिए। वह विकेटों के बीच तेज दौड़ के लिए पहचाने जाते थे और अपने समय के सबसे बेहतरीन फील्डर्स में से एक थे। उन्होंने कई मुकाबलों में भारत के लिए बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की शुरुआत की। उन्होंने 1968 में न्यूजीलैंड के खिलाफ दो बार, 1969 में घरेलू मैदान पर तीन बार और 1971 में वेस्टइंडीज के दौरे पर दो बार ऐसा किया।
सैयद आबिद अली के निधन पर पूर्व खिलाड़ियों ने भी शोक जताया है। पूर्व भारतीय ऑलराउंडर मदन लाल ने पोस्ट किया कि एक दु:खद समाचार, आबिद अली नहीं रहे। वह एक बेहतरीन टीम खिलाड़ी और अच्छे इंसान थे। परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना। पूर्व भारतीय सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने अपने शोक संदेश में कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आबिद सर का निधन हो गया। वह काफी समय से अस्वस्थ थे। मैं गर्व से कह सकता हूं कि आंध्र के कोच के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हमें जीतने की कला सिखाई।
सैयद आबिद अली 1967 से 1974 के बीच भारत के लिए 29 टेस्ट मैच खेले। आबिद अली को एक बेहतरीन फील्डिंग और विकेटों के बीच तेज दौड़ के लिए भी जाना जाता था। वे एक मीडियम पेसर ऑलराउंडर थे। भारत के लिए खेले 29 टेस्ट मैचों में उन्होंने 47 विकेट चटकाए, जिसमें डेब्यू पारी में 55 रन देकर छह विकेट भी शामिल था जो कि उनके करियर में किसी पारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। यह प्रदर्शन उन्होंने 1967 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था।
एक बार टेस्ट मैच में उनके द्वारा थ्रो करने पर गेंद को नो बॉल करार दे दिया गया था। यह मैच न्यूज़ीलैंड के खिलाफ क्राइस्टचर्च में खेला गया था। उन्होंने ऐसा गैरी बार्लेट के विरोध में किया था जिन्होंने छह विकेट चटकाए थे और भारतीय टीम ने उनके गेंदबाज़ी ऐक्शन को संदिग्ध माना था। आबिद अली भारत के प्रमुख चेहरों में ख़ुद को स्थापित नहीं कर पाए। हालांकि हैदराबाद में वह एक प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने 20 सीज़न में कुल 212 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए 397 विकेट लेने के साथ ही 28.55 की औसत से 8732 रन बनाए हैं, जिसमें 13 शतक और 41 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट दिसंबर 1974 और अंतिम वन डे जून 1975 में खेला, जबकि उन्होंने अपना अंतिम प्रथम श्रेणी मुकाबला 1978-79 में खेला था।
9 सिम्बर 1941 में हैदराबाद में जन्में सैयद आबिद अली ने एक खिलाड़ी के तौर पर करियर समाप्त होने के बाद रणजी ट्रॉफी में आंध्र प्रदेश की टीम को कोचिंग दी, वहीं वह यूएई और मालदीव के साथ भी बतौर कोच जुड़े रहे। 12 मार्च 2025 को अपनी मृत्यु के समय वह कैलिफोर्निया के ट्रैसी में परिवार के साथ रह रहे थे। आबिद अली अजीत वाडेकर की अगुआई वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 1974 में इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में अपना पहला वनडे मैच खेला था। यह 55 ओवर का मैच था जिसमें भारत हार गया था। इसके अलावा 1975 में हुए पहले वनडे वर्ल्ड कप में भी वह टीम का हिस्सा थे। तब उन्होंने कुल तीन मुकाबले खेले थे।
इंटरनेशनल क्रिकेट के मुकाबले फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड बेहतरीन रहा। उन्होंने कुल 212 फर्स्ट क्लास मैच खेले, जिसमें 8,732 रन बनाए। जिसमें नाबाद 173 रन का सर्वोच्च स्कोर भी शामिल है। उन्होंने 23 रन पर छह विकेट के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 397 विकेट भी चटकाए। आबिद हैदराबाद के शानदार क्रिकेटर्स के उस ग्रुप में शामिल थे, जिसका हिस्सा एमएके पटौदी, एमएल जयसिम्हा और अब्बास अली बेग थे। उनके निधन की खबर नॉर्थ अमेरिका क्रिकेट लीग ने साझा की। नॉर्थ अमेरिका क्रिकेट लीग ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया कि मैं पूरी श्रद्धा से आपके साथ भारत के क्रिकेट के दिग्गज सैयद आबिद अली के निधन की खबर साझा कर रहा हूं जिन्होंने कैलिफोर्निया के ट्रेसी को अपना घर बनाया और जिनकी उल्लेखनीय विरासत हमें अच्छा करने का प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।