यूपीसीए एजीएम : चयनसमितियों में दिखेगा बदलाव, अर्चना मिश्रा और राहुल सप्रू भी दौड़ में

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कानपुर। कमला क्लब में बुधवार को होने वाली यूपीसीए की 19वीं वार्षिक आम सभा (एजीएम) में चयनसमितियों में बदलाव होना तय है। सीनियर मेन्स चयनसमिति में तीन बदलाव होने हैं, जबकि जूनियर चयनसमिति में कम से कम एक चेंज होना है। इसके अलावा महिला चयन समितियों में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

गवर्निंग काउंसिल में डीएस चौहान और अब्दुल बहाव के चुने जाने में कोई रुकावट नहीं होनी है, जबकि अपना कार्यकाल पूरा करने वाले निधिपति सिंहानिया, जीएन तिवारी, जावेद अख्तर और प्रदीप कुमार गुप्ता का कार्यकाल पूरा हो चुका है लेकिन उनको फिर से चुना जा सकता है।

सीनियर मेन्स चयनसमिति में इस बार तीन पद खाली हैं। एक चयनकर्ता पर तो कुछ आरोप थे और पुलिस ने इन्ट्रोगेट भी किया था। प्रवीण गुप्ता, रत्नेश मिश्रा अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि एक अन्य चयनकर्ता पर भी अनुशासनहीनता में कार्रवाई हुई थी। स्थिति तो यह बन गई थी कि रणजी और सीके नायडू टीम का सलेक्शन सिर्फ दो चयनकर्ताओं मनोज सिंह और आरिस आलम ने किया था।

इनकी मदद के लिए कोऑर्डिनेटर गोपाल शर्मा से कहा गया था। कपिल पांडे भी बैठे दिखे थे। हालांकि इसके बावजूद पहले दो रणजी मुकाबलों में टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। जूनियर चयनसमिति से उत्कर्ष चन्द्रा इस्तीफा दे चुके हैं उनकी जगह भी भरी जानी है। इस चयनसमिति में कमलकांत कनौजिया, कपिल पांडे, नासिर अली और सुरेन्द्र चौहान बाकी चयनकर्ता हैं।

सीनियर महिला चयन समिति में अर्चना मिश्रा को जगह मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो उन्हें कोच के लिए ऑफर हुआ था लेकिन पैर में चोट के चलते उन्होंने कोच की बजाए चयनसमिति में आने की इच्छा जताई थी। हालांकि इस नाम को लेकर यूपीसीए के शीर्ष पदाधिकारियों को विरोध भी झेलना पड़ रहा है। 60 साल उम्र का बैरिअर भी आड़े आ सकता है। संभव है कि क्रिकेट एडवाइजरी समिति (सीएसी) में रखकर बीच का रास्ता निकाल लिया जाए।

राहुल सप्रू को भी चयनकर्ता के पद का दावेदार माना जा रहा है। लेकिन यह सब कयास हैं, जिनको बनाया जाना है उनके नाम तय हो चुके हैं और आज रात डिनर से पहले होने वाली अनौपचारिक बैठक पर उन नामों पर मुहर लग जाएगी। कायदे से तो यह है कि हर जोन से एक सलेक्टर होना चाहिए ताकि हर सदस्य अपने जोन के टैलेंट को उपेक्षित न होने दे। कोचिंग सेन्टर चलाने वालों को चयनकत्र्ता की भूमिका नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि इससे उसकी भूमिका की निष्पक्षता पर उंगली उठती रहती है।

 

 

 

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