संजीव मिश्र। कानपुर। वे पूर्व क्रिकेटर जो स्टेट के लिए ज्यादा मैच नहीं खेल सके उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) से खुद के लिए ‘ग्रेटीज स्कीम’ के तहत हर माह छोटी सी राशि चाहते हैं। 23 अक्टूबर को होने वाली संघ की एजीएम (वार्षिक आम सभा) में वे इसको लेकर संघ की तरफ से किसी घोषणा की उम्मीद लगाए हैं। और उम्मीद हो भी क्यों न, आखिर ये खिलाड़ी आपके लिए ही तो खेले थे। बुढ़ापे पर जब इनको आर्थिक मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है तब संघ के अलावा और कौन इनकी सहायता कर सकता है।
पूर्व रणजी क्रिकेटर लक्ष्मी हजारिया और नीरू कपूर इसकी मांग उठाते रहे लेकिन उनके जीवन काल में उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि निकट भविष्य में यूपीसीए ‘ग्रेटीज स्कीम’ अपने पूर्व क्रिकेटरों के लिए शुरू करके उन्हें कुछ राहत जरूर देगा। कई राज्यों ने तो इस तरह की स्कीम अपने पूर्व क्रिकेटरों के लिए शुरू भी कर दी है और कई अन्य शुरू करने वाले हैं।
एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सवा सौ से डेढ़ सौ खिलाड़ी ऐसे होंगे, जिन्होंने एक से लेकर 24 रणजी मैच खेले होंगे। 25 या उससे ज्यादा मैच खेलने वाले क्रिकेटरों के लिए तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से हर माह पेंशन आ रही है लेकिन जो खिलाड़ी 24 से कम मैच खेले उनके लिए अब तक न तो बीसीसीआई से और न ही यूपीसीए से किसी तरह की मदद दी जा रही है। अम्पायर्स और स्कोरर्स की भी संख्या 50 से ज्यादा नहीं होगी। यूपीसीए ने इन सभी की एक बार जरूर एकमुश्त मदद की थी लेकिन तब भी एमाउंट इतना अच्छा नहीं था कि उससे पूर्व खिलाड़ियों का भला हो सकता हो।
ओपी कुकरेजा जो संघ के सदस्य भी रहे, पूर्व क्रिकेटरों के लिए संघ की ओर से आर्थिक मदद की कोशिश करते रहे, लेकिन कुछ न हो सका। उनका भी लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। नीरू कपूर ने लगातार इसके लिए आवाज उठाई लेकिन मरते दम तक उनके भी प्रयास फलीभूत नहीं हो सके, जबकि नीरू कपूर यूपीसीए में चयनकर्ता और मुख्य चयनकर्ता का पद भी संभाल चुके थे।
यदि यूपीसीए ‘ग्रेटीज स्कीम’ के तहत अपने पूर्व खिलाड़ियों, अम्पायर्स और स्कोरर्स के लिए हर माह सिर्फ पांच हजार की मदद भी करते हैं और इनकी संख्या 200 भी होती है, तब भी संघ पर दस लाख रुपए महीने से ज्यादा का खर्च नहीं आएगा। यह खर्च संघ के महीने के उस खर्च से भी कम होगा जो आए दिन होटलों में पार्टी के दौरान या ऑफीसियल्स को आलीशान होटलों में रुकाने में होता है। संभव है यूपीसीए इस एजीएम में इस पर विचार करे और जल्द इस स्कीम को लागू करने की घोषणा भी कर दे।
यूपीसीए में ऐसे स्कोरर्स भी हैं जिन्होंने उस समय स्कोरिंग की जब यूपीसीए के पास स्कोरिंग शीट तक नहीं हुआ करती थी। आज वे बुजुर्ग हो चुके हैं लेकिन अब भी वे उसी उत्साह के साथ स्कोरिंग करते हैं। उनके पास यूपी के अब तक खेले मैचों के सारे रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। ये तो अब यूपीसीए के लिए उन धरोहरों की तरह हैं जिनको बहुत सहेज के रखा जाना चाहिए। जारी….