विराट कोहली की तो इंग्लैंड के खिलाफ शतकों की झड़ी लगाने की तमन्ना थी, फिर संन्यास क्यों?

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बेबाक/संजीव मिश्र

खराब फॉर्म, पांच सालों में सिर्फ तीन शतक, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में लगातार कई पारियों में ऑफ स्टम्प के बाहर की गेंदों पर आउट होने की समस्या से जूझना, नहीं-नहीं यह किसी महान खिलाड़ी के अचानक ऑफ सीजन संन्यास लेने की वजह नहीं हो सकती। विराट कोहली भी इंग्लैंड का दौरा करना चाहते होंगे। लेकिन अचानक सोमवार को उन्हें अपने संन्यास की घोषणा करनी पड़ी। अफवाहें थीं कि उनको इंग्लैंड दौरे पर टीम के साथ जाने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और टीम मैनेजमेंट मना रहा है। हालांकि ऐसा था नहीं, बल्कि हवा उड़ाई गई थी। विराट कोहली को आज नहीं तो कल जाना था लेकिन इस तरह से एक महान खिलाड़ी की विदाई किसी ने सोची नहीं थी। उसके प्रशंसकों को दु:ख भी हुआ और होना भी चाहिए, क्योंकि लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय क्रिकेट में छाया रहने वाला उनका नायक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अपना संन्यास घोषित करने को मजबूर हुआ था।

इंग्लैंड में कुछ बड़ा करने की तैयारी कर रहे थे

विराट कोहली की इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में 3 या 4 शतक ठोकने की इच्छा थी, वे इस दौरे में सीनियर बल्लेबाज के रूप में कुछ बड़ा करने की तैयारी कर रहे थे। आस्ट्रेलिया दौरे की नाकामी से उबरने के लिए कोहली इंग्लैंड दौरे पर विराट प्रदर्शन करना चाहते थे। इसका मतलब है कि उन्हें किसी दबाव में ही अपने संन्यास की घोषणा करनी पड़ी। विराट जब अपनी टीम दिल्ली से रणजी मैच खेल रहे थे तब पूर्व स्पिनर और अपने रणजी कोच सरनदीप सिंह से अपने इरादे जाहिर भी किए थे।

14 साल लम्बे कॅरिअर का अचानक अंत

विराट के 14 साल लम्बे कॅरिअर के दु:खान्त की वजहों पर हम अब अटकलें ही लगा सकते हैं। वैसे भी आजकल ऐसे संन्यास की वजहें सामने आ भी कहां पाती हैं। कहानियां चलती रहती हैं, अटकलें लगती रहती हैं और फिर जल्दी ही लोग भूल जाते हैं। रवि चन्द्रन अश्विन और रोहित शर्मा के साथ भी यही हुआ। फेयरवेल मैच तक नहीं मिला और कुछ ही दिनों में उनके संन्यास की वजहों पर जाले बुन गए। विराट का संन्यास भी दो तीन दिन बाद किसी अखबार की बासी खबर बनकर यादों की धूल में गुम हो जाएगा। और कोई याद करेगा भी क्यों, नए खिलाड़ी आएंगे और हम उनमें अगला विराट, रोहित और अश्विन ढूंढ़ने लगेंगे। विराट और रोहित की बात अब तभी होगी जब वे किसी वन डे सीरीज में उतरेंगे। यह दुनिया ऐसी ही है, मेले बदलते रहते हैं और हम नई किरदार देखना ही पसंद करते हैं।

संन्यास के पीछे की कहानी कहीं गुम हो जाएगी

मौजूदा दौर में क्रिकेटरों के रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग भी अमूमन बीसीसीआई से जुड़ी रहती है, इसलिए असंतुष्ट होकर क्रिकेट छोड़ने वाले खिलाड़ियों के गले खुल नहीं पाते और संन्यास के पीछे की कहानी कहीं दफन हो जाती है। विराट कोहली के संन्यास की भी ऐसे ही दफन हो जाएगी। सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, सचिन तेंदुलकर, रविचन्द्रन अश्विन और अब रोहित शर्मा व विराट कोहली के संन्यास भी चुपचाप हो गए। अब कौन बात करता है इनकी? और करे भी क्यों, किसके पास इतना वक्त है। ये तभी याद किए जाते हैं जब कमेंट्री बॉक्स में किसी रिकॉर्ड की चर्चा होती है।

पुजारा और रहाणे तो संन्यास भी घोषित नहीं कर पा रहे

चेतेश्वर पुजारा और आंजिक्य रहाणे को तो चयनकर्ताओं ने भुला ही दिया। बड़े खिलाड़ी होने के बावजूद संन्यास घोषित करने का मौका तक नहीं मिल पा रहा इनको। अब कॅरिअर का अंतिम दौर खेल रहे खिलाड़ियों में रविन्द्र जडेजा और मोहम्मद शमी ही बचे हैं। देखें इनके लिए बोर्ड कब लाल सिग्नल करता है। कितना अजीब लग रहा था जब बीजीटी के दौरान पिछली सीरीज में गेंदबाजों के लिए सिरदर्द बनने वाले पुजारा आस्ट्रेलिया से पिट रही अपनी टीम के लिए कमेंट्री कर रहे थे। यदि अपने लिए आवाज उठाते तो उन्हें यह मुआवजा भी नहीं मिल सकता था, क्योंकि ब्राडकास्टरों पर बीसीसीआई का दखल रहता है। कमेंटेटर पैनल मेंंबीसीसीआई के खिलाफ मुखर होने वालों का पत्ता कट जाता है।

बीसीसीआई नहीं रोकता किसी खिलाड़ी को

हर महान खिलाड़ी के लिए एक न एक दिन ऐसा आता है जब उसे अन्य खिलाड़ियों के लिए जगह खाली करनी पड़ती है और यह स्वाभाविक भी है। लेकिन विराट कोहली का मामला कुछ और नजर आ रहा है। टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर के साथ उनकी कैमेस्ट्री पहले ही खराब थी। पिछले दिनों बीसीसीआई व टीम मैनेजमेंट के मनाने की खबरें उड़ीं या कह लीजिए उड़ाई गईं। हालांकि बीसीसीआई में किसी को मान मनौव्वल का चलन नहीं है। बोर्ड ने तो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को भी संन्यास लेने से नहीं रोका था। हां विराट के फैन्स को यह तकलीफ जरूर होगी कि दस हजारी बनने से ज्यादा दूर (9230) न होने के बावजूद इस खिलाड़ी को संन्यास दिलवा दिया गया।

क्यों फॉर्म में रहते हुए संन्यास नहीं लेते बड़े खिलाड़ी?

कुछ दिनों पहले ही टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने टेस्ट से संन्यास की घोषणा की थी और उसके बाद विराट कोहली का भी रिटायरमेंट हो जाता है। इन दोनों के संन्यास की टाइमिंग देखने से लगता है कि इन्हें पता चल चुका था कि वे इंग्लैंड दौरे की टीम का हिस्सा नहीं हैं। देश के लिए कई सालों तक खेलने वाले खिलाड़ी जब बिना फेयरवेल मैच के मैदान से बाहर संन्यास की घोषणा करते हैं तो यह फैसला खुद उन्हीं के लिए सवाल भी छोड़ जाता है कि वे क्यों महान सुनील गावस्कर की तरह कॅरिअर के शीर्ष पर संन्यास लेकर विदाई को यादगार नहीं बनाते। विराट से तो 2020 जनवरी से रन नहीं बन रहे थे। इस दौरान उन्होंने 39 टेस्ट मैचों में सिर्फ 2028 रन ही बनाए और उनके बल्ले से सिर्फ तीन शतक ही निकले। टेस्ट मैचों में यह प्रदर्शन उस विराट कोहली का नहीं लगता था जो अपने उरूज पर एक के बाद एक शतक ठोके जा रहा था।

आस्ट्रेलिया में संन्यास लेते तो शानदार विदाई मिलती

साफ है कि आस्ट्रेलिया में किए गए प्रदर्शन के बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली के लिए टीम में जगह ही नहीं बन रही थी। संभवत: टीम इंडिया की सेलेक्शन कमेटी से दोनों दिग्गजों को बता दिया गया था कि भविष्य की योजना में उनके पास कई अच्छे खिलाड़ी हैं जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया में इन दोनों के संन्यास की घोषणा का इंतजार हो रहा था लेकिन दोनों ने ऐसा नहीं किया, जबकि उस सीरीज से पहले ही यदि दोनों देश के लिए अंतिम सीरीज खेलने की घोषणा कर देते तो उन्हें आस्ट्रेलिया में शानदार विदाई मिलती। खासकर विराट कोहली को जो कि आस्ट्रेलियाई प्रशंसकों आंख का तारा हैं।

दिग्गज खिलाड़ियों का ऐसा रिटायरमेंट!

रोहित शर्मा को भी कप्तान होने के बावजूद अंतिम टेस्ट से खुद को बाहर नहीं रखना पड़ता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ रोहित ने तो साफ कह दिया था कि अभी मैं कहीं नहीं जा रहा। लेकिन अब सेलेक्टर्स ने उन्हें बता दिया कि आप इंग्लैंड दौरे पर भी नहीं जा रहे। विराट को भी ऐसे ही संकेत मिलने के बाद अपना रिटायरमेंट घोषित करना पड़ा। लेकिन दु:ख होता है जब विराट जैसा कद्दावर खिलाड़ी इस तरह से टेस्ट क्रिकेट से विदा होता है। और वो भी 123 टेस्ट खेलने और अपनी कप्तानी में भारत को लम्बे समय तक नम्बर वन टेस्ट टीम बनाए रखने वाला खिलाड़ी, अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को आस्ट्रेलिया में जाकर पहली बार सीरीज में जितवाने वाला खिलाड़ी, 68 मैचों में कप्तानी कर भारत को सबसे ज्यादा जीत (40 टेस्ट) दिलवाने वाला, भारत के लिए सर्वाधिक शतक बनाने वाले खिलाड़ियों में चौथे नम्बर (30 शतक) पर रहने वाला खिलाड़ी और टेस्ट क्रिकेट में 7 दोहरे शतक लगाने वाला खिलाड़ी।

अपने बारे में फैसला लेने में चूक जाते हैं धुरंधर

विराट कोहली का संन्यास उन बड़े क्रिकेटरों के लिए नजीर बनेगा जो लम्बा क्रिकेट खेलने के बाद भी यह फैसला लेने में चूक जाते हैं कि उन्हें कब सम्मान के साथ क्रिकेट को छोड़ देना चाहिए। क्रिकेट बहुत बेरहम खेल है। आईपीएल 2025 के सीजन की शुरुआत में जो कैमरे महेन्द्र सिंह धोनी का ही पीछा करते रहते थे, उनके एंगल अब बदल गए हैं। जिन धोनी के मैदान में उतरते ही स्टेडियम में दर्शकों का शोर आसमान छू उठता था, लीग के आधा होने से पहले ही वो हल्का पड़ चुका था। लोग उनकी कमियां ढूंढने लग गए। उन पर मीम्स बनने लग गए। दरअसल कई सालों तक टीम इंडिया का हिस्सा रहने वाले खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट के ग्लैमर से दूर होना काफी मुश्किल होता है। यह फैसला खुद करना पड़ता है कि क्रिकेट छोड़ने का फैसला आप करेंगे या यह मौका सेलेक्शन कमेटी पर छोड़ेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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