नयी दिल्ली – जयपुर के दो युवा शॉटगन निशानेबाजों विवान कपूर और अनंतजीत सिंह नरूका ने सत्रांत आईएसएसएफ विश्व कप फाइनल के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीतकर भारत के निराशाजनक अभियान को रोशन किया। बाइस वर्षीय ट्रैप निशानेबाज विवान और 26 वर्षीय ओलंपियन स्कीट निशानेबाज नरूका ने कर्णी सिंह रेंज में अपने करियर के सबसे बड़े पदक जीते जिससे मेजबान टीम ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपने अभियान का अंत दो रजत और दो कांस्य पदक सहित चार पदक के साथ किया।
इससे पहले विवान का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2022 में तीन विश्व कप की टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतना था। उन्होंने फाइनल में 44 का स्कोर बनाया और वह चीन के स्वर्ण पदक विजेता यिंग की से पीछे रहे जिन्होंने 47 का स्कोर बनाया। तुर्की के टोल्गा एन टुंसर ने 35 के स्कोर से कांस्य पदक जीता। विवान ने इससे पहले क्वालीफिकेशन दौर में 125 में से 120 अंक जुटाकर तीसरे स्थान पर रहते हुए छह निशानेबाजों के फाइनल में जगह बनाई थी। विवान ने स्पर्धा के बाद कहा, ‘‘यह मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है क्योंकि यह सीनियर सर्किट में मेरा पहला व्यक्तिगत पदक है।’’ बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता चेक गणराज्य के डेविड कोस्टेलेकी और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विश्व चैंपियन जेम्स विलेट जैसे दिग्गज निशानेबाजों की मौजूदगी के बावजूद विवान विचलित नहीं हुए और रजत जीतने के दौरान 50 में से केवल छह निशाने चूके।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने खुद से कहा कि मैं उनके (शीर्ष निशानेबाजों) समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं। इसलिए मैं किसी से पीछे नहीं हूं इसी तरह कोई जीतता है।’’ यह विवान की अपने पिता के मित्र के साथ एक सौभाग्यपूर्ण मुलाकात थी जिसने शॉटगन निशानेबाज बनने की उनकी इच्छा को जगाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे पिता के कॉलेज के रीयूनियन का समय था जब उनके एक मित्र ने निशानेबाजी के प्रति मेरे उत्साह को देखा और मेरे पिता को मुझे निशानेबाजी में शामिल करने के लिए राजी किया।’’ नरूका ने पुरुषों के स्कीट फाइनल में भी उतना ही शानदार प्रदर्शन किया लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें कांस्य पदक की मिल सका जिसका एक कारण क्ले टारगेट मशीनों में खराबी भी थी जिससे उनकी लय बिगड़ गई।
फाइनल के दौरान दो बार ‘क्ले टारगेट’ फेंकने वाली मशीन में उस समय गड़बड़ी आई जब नरूका निशाना साधने वाले थे जिसके कारण लंबे कद के इस निशानेबाज को समस्या के समाधान के लिए कुछ मिनट इंतजार करना पड़ा। नरूका ने छह निशानेबाजों के फाइनल में 43 के स्कोर के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। इटली के तामारो कासांद्रो को स्वर्ण और गैब्रियेले रोसेत्ती को रजत पदक मिला जिन्होंने क्रमश: 57 और 56 स्कोर किया । नरूका ने क्वालीफिकेशन दौर में 125 में से 121 स्कोर किया था । इससे पहले अब तक विश्व कप पदक नहीं जीत पाने और माहेश्वरी चौहान के साथ पेरिस ओलंपिक में मिश्रित स्कीट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहने की निराशा को पीछे छोड़कर नरूका खुश हैं लेकिन निशाना साधते समय दो बार हुई गड़बड़ी से थोड़े निराश हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब ‘नो टारगेट’ आता है तो यह आपकी लय तोड़ देता है और फिर आपको फिर से शुरू करना पड़ता है। मैं खुद से कहता रहा कि रजत या स्वर्ण एक और चरण है, मुझे बस अगले लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना है।’’ पेरिस में चौथे स्थान पर रहने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस दिल तोड़ने वाले प्रदर्शन से नहीं उबर पाया हूं। वे यादें बार-बार आती रहती हैं। जब आप अपने पहले खेलों में ओलंपिक पदक जीतने के इतने करीब होते हैं तो हारना मुश्किल होता है। लेकिन आप हमेशा अपनी गलतियों से सीखते हैं और मैं इसे यहां दोहराना नहीं चाहता था।’’
हांगझोउ एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता नरूका ने कहा, ‘‘जब आज फाइनल में एक के बाद एक निशानेबाज बाहर हो रहे थे तो मैंने बस यही प्रार्थना की कि पेरिस में जो कुछ मेरे साथ हुआ, उसके बाद ऐसा दोबारा नहीं हो।’’ महिलाओं की स्कीट स्पर्धा में गनीमत सेखों ने फाइनल में छठा स्थान हासिल किया। अमेरिका की समंथा सिमोंटन ने 56 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने इटली की दोहरी ओलंपिक चैंपियन डायना बैकोसी को पछाड़ा जिन्होंने 54 अंक बनाए। फ्रांस की लूसी अनास्तासियो ने कांस्य पदक जीता। महिलाओं के ट्रैप फाइनल में सेन मेरिनो की एलेसांद्रा पेरिली ने 45 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता। रजत पदक जीतने वाली इटली की एरिका सेसा उनसे छह अंक पीछे रही। तुर्की की सेफिये टेमिजदेमिर ने कांस्य पदक जीता।