-अभिमन्यु को इस मुकाम पर पहुंचाने में पिता आरपी ईश्वरन की तपस्या को भी नहीं भूला जा सकता
-अभिमन्यु ईश्वर के घरेलू क्रिकेट में लगभग 50 के औसत से साढ़े सात हजार से ज्यादा रन
संजीव मिश्र। कानपुर। लगातार भारतीय टीम का दरवाजा खटखटाने वाले घरेलू क्रिकेट के स्टार सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वर के लिए इस बार चयनकर्ताओं के सामने कोई बहाना नहीं था। उसने घरेलू क्रिकेट में शतक पर शतक ठोक कर भारतीय टीम के लिए दरवाजे तोड़ते हुए अपनी आस्ट्रेलिया का उड़ान कन्फर्म कर ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए शुक्रवार को घोषित टीम में अभिमन्यु ईश्वरन का नाम देख कोई आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि इस बार उसकी अनदेखी संभव ही नहीं थी।
..तो अभिमन्यु को पहले ही टेस्ट में खेलने का मौका मिल जाएगा
आस्ट्रेलिया में गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी का आयोजन 22 नवंबर से किया जाएगा। इस टेस्ट सीरीज में पांच टेस्ट खेले जाने है। इस सीरीज के लिए भारतीय टीम जल्द ही ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी। अभिमन्यु ईश्वरन को कई बार चयनकर्ताओं ने भारतीय टीम का दावेदार माना और चुना भी लेकिन अंतिम 11 में खेलने का मौका कभी नहीं मिल सका। लेकिन इस बार शायद ऐसा न हो, क्योंकि कप्तान रोहित शर्मा यदि इस सीरीज में एक या दो टेस्ट मैच के बाद शामिल होते हैं तो अभिमन्यु को पहले ही टेस्ट में खेलने का मौका मिल जाएगा।
अभिमन्यु ईश्वरन को रितुराज गायकवाड़ पर दी गई तरजीह
खास बात यह भी है कि अभिमन्यु ईश्वरन को रितुराज गायकवाड़ पर तरजीह दी गई है, जिसके नेतृत्व में आस्ट्रेलिया का दौरा करने वाले इंडिया ए टीम में भी चार्टड एकाउंटेंट आरपी ईश्वरन के पुत्र अभिमन्यु देहरादून के रहने वाले हैं। वह घरेलू क्रिकेट में बंगाल से खेलते हैं। उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 169 पारियों में 7638 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका औसत 49.92 का रहा है।
घरेलू क्रिकेट में 27 शतक और 29 अर्धशतक
उनके नाम घरेलू क्रिकेट में 27 शतक और 29 अर्धशतक भी दर्ज हैं। एक ऐसे बल्लेबाज को जिसने टीम इंडिया में डेव्यू से पहले ही घरेलू क्रिकेट में 27 शतक जड़े हों और लगभग 50 के औसत से साढ़े सात हजार से ज्यादा रन बनाए हों, भारतीय टीम से और ज्यादा दिन दूर रखना चयनकर्ताओं के लिए भी संभव नहीं था।
दिलीप, ईरानी और रणजी ट्रॉफी में एक के बाद एक शतकीय पारी
दिलीप ट्रॉफी में दो और ईरानी ट्रॉफी में एक शतक लगाने के बाद रणजी ट्रॉफी में यूपी के खिलाफ नाबाद 127 रन बनाकर चयनकर्ताओं को अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। बिहार के खिलाफ बंगाल का मैच बारिश से न धुला होता तो शायद अभिमन्यु अपनी बल्लेबाजी के दर्प में एक तुर्रा और जड़ चुके होते। एक के बाद एक शतकीय पारी देख आखिर चयनकर्ताओं को अभिमन्यु की प्रतिभा को स्वीकार करना ही पड़ा। और हां अभिमन्यु को इस मुकाम पर पहुंचाने में उसके पिता आरपी ईश्वरन की तपस्या को भी नहीं भूला जा सकता। इसकी एक अलग ही कहानी है जो फिर कभी।