कानपुर। लगातार दूसरे दिन ग्रीनपार्क स्टेडियम में एक भी गेंद फेंके बिना पूरे दिन का खेल रद्द घोषित कर दिया गया। भारत और बांग्लादेश के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन रविवार को भी कोई गेंद नहीं फेंकी जा सकी और स्टेडियम में मौजूद लगभग 15 हजार दर्शक मायूस हो लौट गए।
मजाक यह कि जैसे ही दो बजे के निरीक्षण के बाद अम्पायरों ने दिन का खेल रद्द करने की घोषणा की सूरज फैसले के हंसी उड़ाते हुए बादलों के पीछे से निकल आया। काफी देर मैदान पर सुनहरी धूप बिखरी रही। दर्शक इस आस के साथ दीर्घाओं में जमे रहे कि शायद अम्पायर धूप देखकर अपना निर्णय बदल दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
तीसरे दिन सुबह से आसमान में बादल जरूर छाए थे लेकिन गनीमत यह रही कि एक बार भी बारिश नहीं हुई। कवर्स सीमा रेखा के बाहर पड़े सूख चुके थे और तीनों सुपर सॉपर्स कड़ी मेहनत के बाद बाउंड्री के बाहर खड़े सुस्ता रहे थे। ग्राउंड्स मैन को लग रहा था कि पहले निरीक्षण के कुछ देर बाद ही मैच शुरू हो सकता है इसलिए वे क्रीज मार्क कर चुके थे।
सुबह दस बजे होने वाले अम्पायरों के पहले निरीक्षण के लिए मैदान से कवर्स हटा दिए गए थे। लेकिन अम्पायरों ने थोड़ी देर निरीक्षण के बाद ही तय किया कि अभी खेलने लायक स्थिति नहीं है, क्योंकि उन्हें आउटफील्ड गीली नजर आई थी। 12 बजे फिर एक निरीक्षण की योजना बनी।
12 बजे अम्पायरों ने मैदान का दोबारा मुआयना किया। इस बार भी उन्हें मैच शुरू करने लायक स्थिति नजर नहीं आई। जब अंपायरों को आउटफील्ड के कुछ स्पॉट्स खासकर, मिड-ऑफ, मिड-ऑन और मीडिया बॉक्स छोर से गेंदबाज के रन-अप गीला लगा, इसलिए थोड़ा और इंतजार कर दो बजे तीसरा और अंतिम निरीक्षण करने का फैसला हुआ।
दो बजे भी मैदान की स्थिति में खास तब्दीली नहीं हुई लिहाजा अम्पायरों ने दिन के शेष समय भी खेल संभव होते न देख तीसरे दिन का खेल रद्द घोषित कर दिया। जैसे ही अम्पायरों ने खेल न हो सकने की घोषणा की क्रिकेट के नियमों से अनभिज्ञ दर्शकों में यह बहस छिड़ गई कि जब धूप निकली हुई है तो मैच क्यों नहीं हो सकता? मैदान गीला था तो दो-दो घंटे बाद हुए निरीक्षण के बीच में अम्पायरों ने मैदान सुखाने के लिए गाउंड्स मैन को निर्देश क्यों नहीं दिए?
और यह भी कि क्या मैदान अन्य तरीकों से सुखाया नहीं जा सकता था? मैदान सूखने के लिए सूरज चमकने का इंतजार क्यों किया गया? ग्राउंड्स मैन इस दौरान हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे लेकिन अम्पायरों ने उन्हें एक बार भी यह निर्देश देने की जहमत क्यों नहीं उठाई कि मैदान के खास स्पॉट्स को सुखाने के लिए आप ऐसा कीजिए या वैसा कीजिए?